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रायसेन

सरकारी दफ्तरों से शिकायत पेटियां नदारत

भ्रष्टाचार सहित गोपनीय मामलों की शिकायत कैसे होगी। छोटी-छोटी समस्याओं के लिए ग्रामीणों और आमजन को जनसुनवाई में आना पड़ता है।

रायसेनMar 15, 2019 / 11:54 am

Rajesh Yadav

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सरकारी दफ्तरों से शिकायत पेटियां नदारत

रायसेन. जिला मुख्यालय कलेक्ट्रेट सहित अन्य स्थानों पर संचालित सरकारी दफ्तरों में करीब तीन वर्ष पहले लगाई गई शिकायत पेटियां ज्यादातर कार्यालयों में अब नजर नहीं आ रही है। कलेक्ट्रेट में एक-दो विभागों के दफ्तरों को छोड़कर बाकी दफ्तरों से पेटियां नदारत हैं। जहां पेटियां लगी है, वहां उनकी हालत काफी खराब है। कहीं पेटी के तालों में जंग रही है, तो कहीं पर सिर्फ औचारिकता के लिए ही पेटी लटकी है।

ऐसे में आमजन कहां कैसे भष्ट्राचार संबंधी एवं गोपनीय मामलों की शिकायत करे। पत्रिका ने जब गुरूवार को कलेक्ट्रेट में प्रमुख विभागों के दफ्तरों में जाकर देखा तो भू-तल पर मात्र आदिम जाति कल्याण विभाग के दफ्तर में ही शिकायत पेटी लटकी नजर आई। इसके अलावा नगर पालिका, महिला एवं बाल विकास कार्यालय में भी पेटी दिखाई दी। बताया जा रहा है कि यहां की पेटी भी लंबे समय से नहीं खोली गई। ऐसे में शिकायतों की जांच समय पर कैसे होगी।

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एसडीएम दफ्तर से भी पेटी नदारत
कलेक्ट्रेट में ही आबकारी विभाग, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग दफ्तर के सामने शिकायत पेटी नदारत थी। इसी तरह कृषि विभाग, भू-अभिलेख कार्यालय, डूडा आफिस सहित कलेक्टर कार्यालय के पास भी शिकायत पेटी नहीं लगी। इसके अलावा रायसेन एसडीएम कार्यालय और आरईएस दफ्तर में भी जिम्मेदारों ने शिकायत पेटी लगवान जरूरी नहीं समझा। जबकि इन दफ्तरों में प्रतिदिन सैकड़ों लोग अपनी शिकायत लेकर पहुंचते हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी गंभीर नहीं है।

सरकार की ये थी मंशा
जनहित से जुड़े मुद्दों के लिए प्रमुख विभागों में शिकायत पेटियां सरकार ने यह सोचकर लगवाई थी कि नागरिक सीधे ही अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाते तो उनकी लिखित शिकायतें पेटियों के जरिए पहुंच जाएगी। साथ ही मैदानी स्तर पर विभागों की योजनाओं सहित अमले की क्या स्थिति है। इसकी लिखित शिकायत कोई भी व्यक्ति कर सकता है। क्योंकि कई बार अधिकारी फील्ड पर रहते हैं। ऐसे में शिकायतकत्र्ता की अधिकारी से भेंट नहीं हो पाती। इस कारण शिकायत पेटियां लगवाई गई थी। लेकिन सरकार की मंशा को सफलता नहीं मिल सकी।

जनसुनवाई में आना पड़ता
आमजन को छोटी-छोटी समस्याओं के लिए जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट में होने वाली जनसुनवाई में आना पड़ता है। क्योंकि विभागीय स्तर पर लोगों की समस्याओं का निराकरण नहीं हो रहा। यदि जिला मुख्यालय के अधिकारी अपने कार्यालय और विकासखंड स्तर पर शिकायत पेटियां लगवाकर उनका निराकरण करवाएं तो दूरस्थ अंचल के कई लोगों को जिला मुख्यालय पर आकर परेशान नहीं होना पड़ेगा।

कलेक्ट्रेट में एक जगह लगी पेटी

कलेक्ट्रेट में आदिम जाति कल्याण विभाग के संयोजक मोहित भारती के दफ्तर के सामने ही वर्तमान में शिकायत पेटी लगी नजर आ रही है। विभागीय सूत्रों की मानें तो पेटी लगने के शुरुआती दौर में इसे नियमित खोला जाता था। लेकिन कई महीनों से इसका ताला नहीं खोला गया।

खाद्य विभाग में पेटी नदारत
राशन उपभोक्ताओं की शिकायत के लिए पेटी नहीं लगाई।
आमजन से जुड़े महत्वपूर्ण खाद्य विभाग में लोगों को शिकायत करने के लिए सीधे अधिकारी के पास ही जाना पड़ता है। यहां पर शिकायत पेटी नहीं लगाई गई। अब यदि विभाग के अधिकारी नहीं मिलते हैं, तो फिर लोग जनसुनवाई में आवेदन लेकर पहुंचते हैं।

शिक्षा विभाग ने भी नहीं लगाई
डीईओ आफिस में भी जिम्मेदारों ने शिकायत पेटी लगाना जरूरी नहीं समझा।

सरकारी, प्राइवेट स्कूलों से जुड़ी समस्याओं एवं छात्रों की परेशानियों को हल करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी दायित्व बनता है। लेकिन मुख्यालय पर बने डीईओ आफिस में भी शिकायत पेटी नदारत है।

यहां ताले में जंग लगी
महिला एवं बाल विकास विभाग के दफ्तर से लगी शिकायत पेटी के ताले में जंग लगी हुई।
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यालय में भ्रष्टाचार संबंधी शिकायत के निराकरण के लिए पेटी लगाई गई है। बताया जा रहा है कि पेटी का ताला कई माह से नहीं खोला गया। इस कारण ताले में जंग लगी हुई है।


वैसे शिकायत पेटियों की अब आवश्यकता नहीं है। क्योंकि कलेक्ट्रेट में एक शिकायत शाखा अलग से बनाई गई है। जहां रिसेप्शन पर तीन कर्मचारियों को बैठाया गया है। इसके बाद भी यदि कहीं शिकायत पेटी की जरूरत होगी, तो लगवाई जाएगी।
एलके खरे, एसडीएम, रायसेन

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