ज्यादातर आवासों की दीवारें कमजोर हो चुकी। इनमें जगह-जगह से दरार आने लगी। वहीं इन मकानों का फर्श उखड़ता जा रहा है। बताया जा रहा है कि दो-तीन वर्षों से इनकी मरम्मत नहीं हो सकी, जबकि लोक निर्माण विभाग द्वारा जर्जर हो चुके भवनों की मरम्मत पर अच्छी खासी रकम हर साल खर्च की जाती है। इसके बाद भी हालत नहीं सुधर सकी।
पन्नी डालकर रह रहे
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पीछे चिकित्स्कों के निवास सहित सामने निर्मित भवनों में रह रहे डॉक्टरों द्वारा भवनों के ऊपर पन्नियां तानी गई है, जिससे बारिश का पानी घर के अंदर नहीं आ सके। मगर पन्नी हवा में फटने पर पानी अंदर गिरता है। वहीं सरकारी आवासों तक पहुंचने वाले मार्ग की हालत भी खराब है।
हाल ही में कुछ दिन पहले शासकीय गोदाम के पास निर्मित चौकीदार भवन भरभरा कर गिर गया था। जब एसडीएम बृजेन्द्र रावत से यहां के जर्जर भवनों के संबंध में पूछा गया, तो उन्होंने कहा था कि मुझे इस संबंध में अभी जानकारी नहीं है। फिर भी मैं पीडब्लूडी से जर्जर शासकीय भवनों की सूची मंगवाकर उन्हें चिन्हित किया जाएगा। इसके बाद उन्हें तोडऩे की प्रक्रिया बढ़ाई जाएगी। मगर एसडीएम की बात अब तक पूरी नहीं हो सकी और स्थिति जस की तस बनी है।