आमतौर पर फलों का उपयोग लोग बीमारी को दूर भगाने के लिए करते हैं। हरी सब्जियां भी विभिन्न तरह के प्रोटीन व पौष्टिक आहार के रूप में खाई जाती हैं।
रायसेन. आमतौर पर फलों का उपयोग लोग बीमारी को दूर भगाने के लिए करते हैं। हरी सब्जियां भी विभिन्न तरह के प्रोटीन व पौष्टिक आहार के रूप में खाई जाती हैं। लेकिन यह फल और सब्जियां बीमार करने लगे तो ग्राहकों की सोच सीधे केमिकल रंगों के कारण दूषित सब्जियों पर ही जाती है।
कई मर्तबा सब्जी और फलों की रंगत बढ़ाने के लिए रंगों और केमिकलों का उपयोग करते हैं। जिससे लोगों की सेहत पर हरदम खतरा मंडराता है। यहां तक कि दाल और चावल पर भी केमिकल का उपयोग किया जा रहा है। लोग इनको खाने से घातक बीमारियों की चपेट में आते जा रहे हैं। ग्राहक ये नहीं जानते कि केमिकल युक्त फलों को खाने से भारी नुकसान पहुंच सकता है।
शहर के विजय सिंह राठौर, प्र्रवेंद्र जैन, जावेद कदीर, हर्षवर्धन सिंह सोलंकी, प्रभादेवी राजपूत आदि का कहना है कि खाद्य पदार्थों में मिलाया जाने वाला कलर जानलेवा हो सकता है। फलों का कभी कभार तो सब्जियों का रोजाना उपयोग होता है। दुकानदार भी दबी जुबान में बताते हैं कि सब्जी और फलों के कच्चे होने पर उन्हें पकाने के लिए केमिकल पिलाते हैं। चमकाने के लिए वैक्स लगाते हैं। ताजा बनाए रखने के लिए केमिकल का उपयोग करते हैं।
घातक केमिकलों से अंजान किसान जांच-पड़ताल में यह सामने आया कि किसानों को भी पता नहीं होता कि वे जिस खाद्य या केमिकल का उपयोग कर रहे हैं वह मनुष्यों के लिए हानिकारक है। दुकानदारों पर भरोसा कर उसको दी खाद और केमिकल का छिड़काव वह करते हैं। किसान मदन सिंह पटेल, जावेद उद्दीन, करन सिंह कुशवाहा आदि ने बताया कि रासायनिक बीज और खाद का इस्तेमाल ही कर रहे थे। उसके दुष्परिणाम सामने आए तो उन्होंने रासायनिक खाद का उपयोग करना शुरू कर दिया है। इससे बचत भी हो रही है। और अनाज, सब्जी और फलों का उत्पादन भी तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन दुकानदार के पास सब्जी या फल पहुंचने के बाद फिर उस पर केमिकल का उपयोग किया जाता है, जो हानिकारक है।