scriptधान की टै्क्टर-ट्रॉलियों की भरा दशहरा मैदान | Dussehra ground filled with paddy tractor-trolleys | Patrika News
रायसेन

धान की टै्क्टर-ट्रॉलियों की भरा दशहरा मैदान

आवक तो बढ़ रही, कम कर दिए भाव

रायसेनNov 13, 2019 / 11:34 pm

chandan singh rajput

Dussehra ground filled with paddy tractor-trolleys

Raisen. The agricultural produce market of the district headquarters has been identified for the sale of paddy from last five-seven years. Along with the district, farmers of Vidisha, Sehore, Rajgarh and Sagar districts also come here to sell paddy. However, the sale of paddy is at an early stage this year. But now the paddy has started picking up. This is the reason that the agricultural produce market started auctioning paddy at the Dussehra ground, as tractor-trolleys reach the highway outsid

रायसेन. जिला मुख्यालय की कृषि उपज मंडी पिछले पांच-सात वर्षों से धान की उपज विक्रय के लिए पहचानी जा रही है। जिले सहित विदिशा, सीहोर, राजगढ़, सागर जिले के किसान भी यहां पर धान बेचने आते हैं। हालांकि इस वर्ष धान की विक्रय शुरुआती दौर में है। मगर अब धान की आवक रफ्तार पकडऩे लगी है। यही कारण है कि कृषि उपज मंडी द्वारा दशहरा मैदान में धान की नीलामी कराई जाने लगी, क्योंकि आवक बढऩे से मंडी परिसर में टै्क्टर-ट्रॉली बाहर हाईवे तक पहुंच जाते हैं।
मंगलवार अवक ाश के बाद बुधवार को दशहरा मैदान परिसर में धान की उपज से भरी टै्रक्टर-ट्रॉलियों की लंबी कतार लगी रही। मंगलवार रात से ही टै्रक्टर-ट्रॉलियों का आना शुरू हो गया और बुधवार दोपहर तक पूरा मैदान भरा गया। मंडी प्रबंधन के अनुसार बुधवार को लगभग १२ हजार क्विंटल धान व्यापारियों द्वारा नीलामी में खरीदी गई।
बुधवार को पूसा बासमती वैरायटी की धान १८०० रुपए से लेकर २३६० रुपए तक बिकी। गौरतलब है कि जिले में पूसा बासमती धान ही ज्यादातर किसानों द्वारा लगाई जाती है।
हालांकि करीब पांच सौ क्विंटल धान ११२१ वैरायटी की भी नीलामी की गई और यह उपज २६०० रुपए प्रति क्विंटल तक बिकी। धान बेचने आए किसान नीलामी के दौरान मिल रहे दामों को लेकर काफी निराश हैं। किसान इन्द्र पाल सिंह जौदान, नीलेश पटेल, वचन सिंह आदि ने बताया कि इस बार लगातार बारिश होने से धान की फसल में कीटनाशक दवाईयों का छिड़काव ज्यादा करना पड़ा।
इससे फसल की लागत बढ़ गई और बरसात अधिक होने से पैदावार पर भी असर पड़ा, क्योंकि धान के पौधों को धूप नहीं मिल सकी। किसानों का कहना है कि पिछले वर्ष चुनावी माहौल के दौरान किसानों को धान के बेहतर दाम मिले थे। पर इस वर्ष लागत अधिक आई और पैदावार कम हुई। इसके बावजूद धान के कम दाम मिल रहे। ऐसे में किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा और जिससे कई किसान निराश हैं।

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