पता चल जाता है किस नंबर के लैंस का चश्मा लगेगा
नेत्र सहायक डॉ. शाक्य ने बताया कि नई मशीन ऑटो फोकसिंग सिस्टम से लैस है। जिसमें मरीज को इसके सामने बिठाकर नेत्रों की जांच की जाती है। रेटिना में होने वाले संकुचन को यह मशीन ऑटोमेटिक फोकसिंग सिस्टम से पढ़ लेती है एवं आसानी से निर्धारित हो जाता है कि किस नंबर के लेंस का चश्मा रोगी को लगेगा। रेटिनल इंफेक्शन की स्थिति में भी यह मशीन जांच के सटीक परिणाम देती है। आधुनिक मशीन के अस्पताल में आने के बाद नेत्र रोगियों की जांच तेज हो गई है।
पहले एक-एक रोगी की जांच में अधिक समय लगता था। जबकि मशीन आने के बाद अल्प समय में ही रोगी के नेत्र रोग की त्रुटि तत्काल नेत्र सहायक को समझ में आ जाती है एवं चश्मे के नंबर का निर्धारण भी तीव्रता से मशीन के माध्यम से ही हो जाता है।