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रायसेन

मध्य भारत के जीवन की आधार, मां नर्मदा का अस्तित्व तक खतरे में

मां नर्मदा आज खुद अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं

रायसेनMay 23, 2022 / 04:18 pm

दीपेश तिवारी

narmada river

narmada river

रायसेन । Raisen

नदियां जहां मानव जीवन का आधार हैं, वहीं मध्य भारत के लिए मां नर्मदा जीवनदायिनी है, जो आज खुद अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं। ऐसे में जिम्मेदारों ने ही मां नर्मदा के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। अभी भी समय है, नर्मदा की जलधार को अविरल बनाए रखने के लिए कड़े प्रयास करना होंगे। यह कहना है उन संतों का जो नर्मदा की सुरक्षा की चिंता में डूबे हैं।

ये संत लोगों को जागरुक करने का प्रयास करने के साथ ही सरकार को भी चेता रहे हैं। दरअसल रायसेन जिले के बरेली में हनुमान गढ़ी मंदिर में प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने आए संतों ने पत्रिका से बात करते हुए नर्मदा के लिए अपनी चिंता जाहिर की।

नर्मदा की सहायक नदियां सूख रही हैं
मध्यप्रदेश में ही प्रदेश की जीवन रेखा कहि जाने वाली नर्मदा की हालत बहुत खराब है। नर्मदा में मिलने वाली सहायक नदियां सूख रही हैं। मां नर्मदा ही नहीं देश की सभी नदियां गंगा, जमुना, सरस्वती, कावेरी तबा सरयू नदियां अविरल प्रवाहित होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो यह पूरी तरह सरकार की विफलता है। सरकार को चाहिए की नर्मदा के संरक्षण के लिए ठोस योजना बनाएं और नर्मदा सदानीरा और पवित्र बनी रहे।
– गौरीशंकर दास, राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद

विकास के नाम पर हुआ विनाश
विकास के नाम पर मां नर्मदांचल के हरित क्षेत्र में अवैध निर्माण एवं खनन किया है। नर्मदा तटीय क्षेत्रों में ही आज पीने के पानी की किल्लत है। आज समाज पूर्ण रूप से बारिश के पानी पर निर्भर हो गया है। जैसे उत्तराखंड स्वयं देवभूमि प्राकृतिक प्रकोप का उदाहरण बन गई है, रेवाखंड भी भीषण आपदाओं के केंद्र बन गया है। समाज, घर, परिवार आरोप प्रत्यारोप से अपनी जिम्मेदारी से भागकर अपने कदाचरण से आंख चुराना चाहता है।

उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार बहाव क्षेत्र से 300 मीटर का दायरा नर्मदा का ही है, लेकिन जिम्मेदार आदेश का पालन नहीं कर रहे। इस असाधारण जल, मिट्टी को नहीं बचाया गया तो सर्वस्व नष्ट होगा।
– समर्थ गुरु भैयाजी सरकार

जलधार को अविरल बहने दें
जगह-जगह जलधार को रोकना और नर्मदा के हरित क्षेत्र में कमी भी मां नर्मदा सहित अन्य नदियों की दयनीय स्थिति का कारण है। आवश्यकता है कि रोकी गई जलधारा मुक्त हो और अधिक से अधिक पौधरोपण कर नदियों के हरित क्षेत्र का विस्तार किया जाए, नहीं तो भविष्य में नर्मदा एक किवदंती बन जाएगी।
– राजेन्द्रदास महाराज, मलूक पीठाधीश्वर वृंदावनधाम

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