चिकलोद के बुजुर्ग बताते हैं कि भोपाल के नबाब के अधीन चिकलोद में उन्होंने उक्त डिजाइन का भवन बनवाया, जिसमें उन्ही के समय पोस्ट आफिस खोला गया था। जिसे उन्होंने बाद में पोस्ट एंड टेलीग्राम विभाग को दे दिया था। तब से इसी भवन में पोस्ट आफिस चल रहा है। खास बात ये है कि विभाग का खुद का जिले में यह पहला भवन था। इसके बाद रायसेन और फिर उदयपुरा में ही विभाग अपने भवन बनवा सका है। बाकी जगह किराए के घरों में ही पोस्ट आफिस चल रहे हैं।
१९४३ का रिकॉर्ड मौजूद
चिकलोद पोस्ट आफिस में वर्तमान में १९४३ तक का कुछ रिकॉर्ड मौजूद है। उससे पहले का रिकॉर्ड नष्ट हो गया है। पत्रिका को प्राप्त एक दस्तावेज के मुताबिक १९४३ में भी यहां पोस्ट एंड टेलीग्राम विभाग के कर्मचारी पदस्थ थे। उस समय कर्मचारी के स्थानांतरण के बाद प्रभार सौंपे जाने का यह दस्तावेज इस बात की पुष्टि करता है। यानि आजादी के पहले से ही चिकलोद का पोस्ट आफिस कायम था।
बुजुर्ग बताते हैं
चिकलोद के पोस्ट आफिस के बारे में गांव के बुजुर्ग अर्जुन सिंह ठाकुर बताते हैं कि भोपाल नबाब हमेशा चिकलोद कोठी आया करते थे। वे कई बार यहां रुकते थे। उन्होंने सालों पहले यहां छोटा सा भवन बनवायया था, जिसे पोस्ट आफिस के लिए दिया था। उस समय यहां कितने और किस किस ने खाते खुलवाए यह तो पता नहीं, लेकिन इस छोटे से गांव में जिले का पहला पोस्ट आफिस विभाग के अपने भवन में खुला था। चौकीदार रहे बुजुर्ग मुन्नीलाल बताते हैं कि उन्होंने बचपन से इस भवन में पोस्ट आफिस संचालित होते देखा है।