थालादिघावन. ऐसी मान्यता है कि जब किसी की सर्पदंश से मृत्यु हो जाती है तो सांप सिर्फ इस जन्म में ही नहीं, अगले सात जन्म तक उसका पीछा नहीं छोड़ता और उसी उम्र में पीडि़त को डसता है। आमजन की इस समस्या का इलाज यहां नागपंचमी के त्योहार पर लगने वाली ढाक में मिल पाता है। मान्यता है कि ढाक में बैठने के बाद पीडि़त ठीक हो जाता है। कहा जाता है कि जो मरीज ढाक में बैठते हैं उनके सिर पर नागदेव आते हैं और उन्होंने जो भी पिछले जन्म में गलती की थी यह सभी बाते बताते हैं। फिर पीडि़त यदि नागदेव से क्षमा मांगते हैं तो नागदेव उसे सजा से सात जन्मों से मुक्त कर देते हैं। ग्राम थालादिघावन में यह ढाक कई वर्षों से लगती आ रही है। कई लोग दूर-दूर से आकर रोग से मुक्त हो चुके हैं। वे प्रतिवर्ष नागपंचमी के दिन प्रसाद चढ़ाने आते हैं।
देवरी. सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि नाग पंचमी के रूप में मनाते हुए नाग देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन सांपों की पूजा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं, इसलिए नाग पंचमी पर सर्पों को दूध पिलाया जाता है। नाग पंचमी के दिन वासुकी नाग, तक्षक नाग, शेषनाग और पनवेल की पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों के बाहर नागों की आकृति बनाकर पूजा करते हैं। नगर में चौरसिया समाज ने भी बड़े तालाब की पार पर वर्षों पुराने बने पान के बरेजों में जाकर पान बेलों की पूजा की। उल्लेखनीय है कि हर वर्ष यहां पर चौरसिया समाज बड़े ही धूमधाम से नाग पंचमी पर बरेजों में जाकर पनवेल की पूजा-अर्चना करते हैं। पूजा करने वालों में पीडी चौरसिया, विपिन कुमार चौरसिया, भागवत चौरसिया, संजीव चौरसिया, राकेश चौरसिया, बबलू चौरसिया, उपस्थित रहे।