खट्टे मीठे अनुभवों का अहसास…
नोटा के मत की वजह से भाजपा कांग्रेस के प्रत्याशियों को नुकसान उठाना पड़ा ।नन ऑफ अवब का मतलब साफ होता है कि चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों में से कोई नहीं। इस बार का मिशन 2018 के विधानसभा चुनाव पराजित प्रत्याशियों को कई खट्टे मीठे अनुभवों का अहसास करा गया हैं।
नोटा दबा एक बार फिर से झटका दिया…
विस चुनाव 2018 में चुनावी समर में उतरे भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य दलों के प्रत्याशियों से नाखुश वोटरों ने नोटा का विकल्प चुनकर एक बार फिर से झटका दिया है।नोटा ने अच्छे-अच्छे दिग्गज नेताओं व प्रत्याशियों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। नोटा ने एक बार फिर से विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंकी जाने के बाद बाहर का रास्ता दिखाया है। मौजूदा समय में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के कुछ प्रत्याशियों को पराजय का सामना करना पड़ा।
पिछले बार से कम वोट लेकिन ज्यादा मारी चोट
पिछले विस चुनाव 2015 की तुलना में भले ही चाहे नोटा ने कम वोट पाए । लेकिन कम वोटोंने प्रत्याशियोंको जमकर चोट पहुंचा दी है। इस वजह से वह चुनाव में पराजित भी हो चुके हैं। मौजूदा समय में वोटरों ने नोटा का जमकर बटन दबाया । मतदाताओं को अगर कोई प्रत्याशी रास नहीं आता है तो वह अपनी प्रतिक्रिया नोटा का बटन दबाकर दे सकता है।
नोटा ने इस तरह दिखाया कमाल,तो दिग्गजों के छूटे पसीने हाल ही में संपन्न हुए मिशन 2018 के विधानसभा चुनाव में नोटा यानि नाराज मतदाताओं का अभिमत ने जिले की चारों सीटों सांची अजा, भोजपुर, सिलवानी और उदयपुरा में 7 हजार 580 वोट पड़े ।यह नोटा के वोट बैंक ने प्रत्याशियों की जीत की संभावनाओं पर भी पानी फेरने में अहम भूमिका अदा की है। इस तरह नोटा ने इन चारों उम्मीदवारों के अरमानों पर पानी फेर कर रख दिया है। जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक कहां कितने नोटा को मिले वोट ।
आइए हम आपको बताते हैं विधानसभावार की जानकारी
सांची अजा विधानसभा सीट पर नोटा को 2255 वोट पड़े। भोजपुर विस सीट पर 1848 वोट मिले। वहीं सिलवानी सीट पर नोटा को 664 वोट मिले थे। इसके अलावा उदयपुरा बरेली सीट पर 2513 नोटा के लिए नाराज मतदाताओं ने मतदान किया है।