कहासुनी भी हो जाती है
वर्तमान में शादियों का सीजन चल रहा है। ऐसे में जरूरतमंद लोग ही प्याज की खरीददारी कर रहे हैं। प्याज होटलों,ढ़ाबों पर भी दिखाई नहीं दे रही है। जहां प्याज के जगह मूली व टमाटर का उपयोग किया जा रहा है। प्याज को लेकर सब्जी दुकानों पर भाव पूछने के दौरान ही दुकानदारों व ग्राहकों के बीच कहासुनी भी हो जाती है।
इसलिए बढ़ रही है कीमतें….
इस वर्ष कई राज्यों में भारी बारिश होने से प्याज का उत्पादन प्रभावित हुआ है। मध्यप्रदेश में भी काफी नुकसान पहुंचा है। प्याज की खेप सितंबर माह में आना थी उसमें देरी हो गई है। जिससे प्याज के दाम बढ़े हैं। हालांकि जानकार बताते हैं कि आगामी दिनों में दाम गिरेंगे।
गृहिणियां बोलीं….
गृहणि कविता यादव ,मोनिका मौर्य,पूजा शर्मा,ज्योति सेन ने कहा रसोई से सब्जियां गायब होती जा रही हैं। प्याज के दाम भी बढ़े हुए हैं। महंगाई के इस दौर में घर चलाना मुश्किल हो रहा है। पार्षद निर्मला राय ,भूमिका राय , रेखा शर्मा का कहना है सरकार को जल्द ही ठोस कदम उठाना चाहिए। इतनी मंहगाई में घर चलाना मुश्किल हो रहा है।
50 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से प्याज बेचा था
प्याज की आसमान छूती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए भोपाल जिला प्रशासन ने कुछ दिन पहले खुद के स्टॉल लगाकर 50 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से प्याज बेचा था। ये स्टॉल कोलार, पिपलानी, बैरागढ़ और बिट्टन मार्केट में लगाए गए थे। प्रशासनिक अमला अपनी निगरानी में प्रति व्यक्ति दो किलो प्याज दिया था। यहां पर पॉलिथिन में प्याज नहीं मिली थी। ब्याज लेने के लिए कपड़े का थैला लाना अनिवार्य था।
प्याज व्यापारियों की बैठक बुलाई गई
इसके पहले कलेक्ट्रेट में प्याज व्यापारियों की बैठक बुलाई गई, जिसमें कलेक्टर ने नए आदेश और व्यवस्था की जानकारियां दीं। जिला प्रशासन के हर काउंटर पर प्रभारी अधिकारी के साथ सात कर्मचारियों की टीम लगाई थी। कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने प्याज भंडारण को लेकर भी आदेश जारी किए थे। जिले में थोक प्याज व्यापारियों के गोदाम में अधिकतम भंडारण क्षमता 500 क्विंटल और फुटकर व्यापारियों के लिए यह क्षमता 100 क्विंटल तय कर दी गई है।