बताया जा रहा है कि बिल्डिंग के ताले नहीं खुलने और साफ-सफाई नहीं होने से दशा खराब होती जा रही है। भवन के चारों तरफ कचरा पड़ा हुआ और खरपतवार उग आई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार साईंखेड़ा गांव में स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कार्यकर्ता पदस्थ हैं। जिन्हें बीएमओ द्वारा कई बार निर्देशित किया गया है कि वे प्रतिदिन निर्धारित समय पर उप स्वास्थ केंद्र में बैठकर रोगियों का उपचार करें। मगर कर्मचारियों ने बीएमओ के आदेश की अनदेखी कर दी।
साईंखेड़ा करीब 20 गांवों का मुख्य केंद्र है। प्रतिदिन इन गावों से सेंकड़ों की संख्या में ग्रामीण साईंखेड़ा आते हैं। ग्रामीण रामलाल, आगम सिंह, पन्नालाल आदि ने बताया कि गांव में स्वास्थ्य सुविणाए नहीं मिल पा रही है। ऐसे में लोगों को उपचार कराने मरीजों को सिलवानी जाना पड़ता है, जबकि सरकार के मुख्यिा और क्षेत्र के जनप्रतिनिधि बार-बार ग्रामों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात करते हैं। मगर यहां तो स्थिति एकदम उलट है। ग्रामीणों को इलाज के लिए प्राइवेट क्लीनिक जाना पड़ रहा है। वहीं इन दिनों एक जुलाई से पूरे प्रदेश कोरोना किल अभियान की शुरुआत हो चुकी है।
-डॉ. एचएन मांडरे, बीएमओ सिलवानी।