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रायसेन

साईंखेड़ा सहित बीस अन्य गांवों के लोग अब भी हैं स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित

दान की भूमि पर सरकार ने करीब छह वर्ष लगभग चार लाख रुपए की लागत से उप स्वास्थ्य केंद्र भवन बना दिया

रायसेनJul 02, 2020 / 11:27 pm

chandan singh rajput

साईंखेड़ा सहित बीस अन्य गांवों के लोग अब भी हैं स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित

साईंखेड़ा सहित बीस अन्य गांवों के लोग अब भी हैं स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित

साईंखेडा. गांव में स्वास्थ्य सेवा की सुविधा और भवन ना होने से ग्रामीणों को उपचार के लिए भटकना पड़ता था। इस समस्या का निराकरण करने के लिए गांव के मूलचंद्र साहू ने स्टेट हाईवे 15 से लगी हुई आठ साल पूर्व 36 सौ वर्गफीट भूमि दान में दी। ताकि ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाएं गाव में ही मुहैया हो सके।
दान की भूमि पर सरकार ने करीब छह वर्ष लगभग चार लाख रुपए की लागत से उप स्वास्थ्य केंद्र भवन बना दिया। मगर भवन के ताले अब तक नहीं खुले। ऐसे में साईंखेड़ा गांव के लोगों को शासन से मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। बताया जा रहा है कि साईंखेड़ा गांव में वर्षों पूर्व स्वास्थ्य कर्मचारियों की नियुक्ति भी की गई थी। मगर स्वास्थ्य कर्मचारी कभी भी उप स्वास्थ्य केंद्र भवन के ताले खोल कर नहीं बैठते। भवन के ताले नहीं खुलने की जानकारी विभाग के अफसरों को भी है। इसके बाद भी कोई ठोस उपाय नहीं हो सके।
भवन की हालत खराब
बताया जा रहा है कि बिल्डिंग के ताले नहीं खुलने और साफ-सफाई नहीं होने से दशा खराब होती जा रही है। भवन के चारों तरफ कचरा पड़ा हुआ और खरपतवार उग आई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार साईंखेड़ा गांव में स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कार्यकर्ता पदस्थ हैं। जिन्हें बीएमओ द्वारा कई बार निर्देशित किया गया है कि वे प्रतिदिन निर्धारित समय पर उप स्वास्थ केंद्र में बैठकर रोगियों का उपचार करें। मगर कर्मचारियों ने बीएमओ के आदेश की अनदेखी कर दी।

इलाज कराने बाहर जाना पड़ रहा
साईंखेड़ा करीब 20 गांवों का मुख्य केंद्र है। प्रतिदिन इन गावों से सेंकड़ों की संख्या में ग्रामीण साईंखेड़ा आते हैं। ग्रामीण रामलाल, आगम सिंह, पन्नालाल आदि ने बताया कि गांव में स्वास्थ्य सुविणाए नहीं मिल पा रही है। ऐसे में लोगों को उपचार कराने मरीजों को सिलवानी जाना पड़ता है, जबकि सरकार के मुख्यिा और क्षेत्र के जनप्रतिनिधि बार-बार ग्रामों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात करते हैं। मगर यहां तो स्थिति एकदम उलट है। ग्रामीणों को इलाज के लिए प्राइवेट क्लीनिक जाना पड़ रहा है। वहीं इन दिनों एक जुलाई से पूरे प्रदेश कोरोना किल अभियान की शुरुआत हो चुकी है।
गांव में स्वास्थ्य कर्मचारी पदस्थ है। उन्हें स्वास्थ्य केंद्र खेलने के निर्देश दिए गए हंै। कोरोना काल व सर्वे के समय स्वास्थ्य केंद्र बंद हो सकता है। प्रत्येक दिन उप स्वास्थ्य केंद्र खुले व आने वाले मरीजों को उपचार मिले, ऐसी व्यवस्था की जाएगी। स्वास्थ्य
-डॉ. एचएन मांडरे, बीएमओ सिलवानी।

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