नाराज डॉक्टर बुधवार सुबह मामले की रिपोर्ट दर्ज कराने कोतवाली पहुंचे, लेकिन वहां मौजूद टीआई जगदीश सिंह सिद्धू ने डॉक्टरों के साथ अभद्रता करते हुए कोतवाली से भगा दिया। इससे नाराज होकर डॉक्टरों ने अस्पताल पहुंचकर हड़ताल कर दी। सभी डॉक्टर, नर्स सहित अन्य स्टॉफ जिला अस्पताल परिसर में एकत्र होकर नारेबाजी करने लगा। घटना की जानकारी मिलते ही तहसीलदार अस्पताल पहुंचे और डॉक्टरों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन डॉक्टर नहीं माने।
डॉक्टरों के साथ बंद कमरे में बैठक की
बाद में कलेक्टर और एसपी खुद अस्पताल पहुंचे और सिविल सर्जन, सीएमएचओ सहित डॉक्टरों के साथ बंद कमरे में बैठक की। जिसमें डॉक्टरों को समझाया। टीआई द्वारा अभद्रता करने के आरोपों की जांच एएसपी से कराने का भरोसा दिलाकर डॉक्टरों को काम पर लौटने के लिए राजी किया। इस दौरान जिला अस्पताल में अफरा तफरी का माहौल बना रहा। मरीज परेशान होते रहे।
ये है पूरा मामला
मंगलवार रात लगभग 10 बजे ग्राम पठारी से इलाज के लिए लाए गए प्रताप सिंह के परिजनों ने जिला अस्पताल में जमकर तोडफ़ोड़ कर हंगामा किया। परिजनो का कहना था कि वे मरीज प्रतापसिंह को इलाज के लिए अस्पताल लाए थे। लेकिन डॉक्टर ने समय पर इलाज नहीं यिका जिससे उसकी मौत हो गई।
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जांच कर मृत घोषित कर दिया
प्रताप सिंह के भतीजे राकेश बेदी ने बताया कि हम मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचे तब कोई डॉक्टर नहीं था। आधा घंटे तक किसी ने मरीज को नहीं देखा। बाद में आकर जांच कर मृत घोषित कर दिया। जबकि इमरजेंसी ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर हेमंत गुप्ता का कहना था कि मरीज को मृत अवस्था में ही अस्पताल लाया गया था, उसकी जांच कर मृत घोषित कर दिया था। लेकिन मरीज के परिजनो ने अस्पताल में तोड़-फोड़ की।
रिपोर्ट करने गए तो टीआई ने हड़काया
मंगलवार की घटना के बाद बुधवार सुबह नौ बजे जिला अस्पताल के कुछ डॉक्टर घटना की रिपोर्ट करने कोतवाली पहुंचे, जहां मौजूद टीआई ने डॉक्टरों की बात सुने बिना ही उन्हे दुत्कार कर भगा दिया। डॉक्टर एमएल अहिरवार, दिनेश खत्री, आलोक राय, पीएस ठाकुर आदि ने बताया कि टीआई सिद्धू ने उनकी बात सुने बिना ही रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया और अभद्रता कर भगा दिया।
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तीन घंटे चला हंगामा
बुधवार सुबह नौ बजे डॉक्टर कोतवाली गए थे, वहां से लौटने के बाद अस्पताल में अन्य डॉक्टरों और स्टॉफ को टीआई द्वारा किए गए बर्ताव की जानकारी देकर काम बंद कर बाहर आने के लिए कहा। इसके बाद से अस्पताल में अफरा तफरी का माहौल रहा।
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स्थिति को नियंत्रण में किया लगभग तीन घंटे तक मरीज परेशान होते रहे। ओपीडी के बाहर परिसर में डॉक्टर और नर्स सहित अन्य स्टॉफ पुलिस और टीआई के विरुद्ध नारेबाजी करते रहे। इस बीच तहसीलदार, एसडीएम ने समझाने का असफल प्रयास किया। अंतत: कलेक्टर उमाशंकर भार्गव और एसपी मोनिका शुक्ला ने पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में किया।
इनका कहना है
मंगलवार रात जिला अस्पताल में तोड़-फोड़ की घटना हुई थी। डॉक्टरों का आरोप है कि घटना की रिपोर्ट लिखाने कोतवाली गए तो टीआई ने उनके साथ अभद्रता की। हमने इनका आवेदन ले लिया है। जिसकी जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक करेंगे। अस्पताल प्रबंधन जगह दे तो हम शीघ्र ही यहां पुलिस चौकी प्रारंभ कर देंगे।
मोनिका शुक्ला, पुलिस अधीक्षक
मरीज की अस्पताल में आने से पहले मौत हो गई थी। लेकिन मरीज के परिजनो ने अस्पताल में तोडफ़ोड़ की। सुबह डॉक्टर रिपोर्ट लिखाने गए थे, उनका कहना है टीआई ने अभद्रता की, इसकी जांच कराएंगे।
उमाशंकर भार्गव, कलेक्टर