समितियों की साख में अटका खाद का वितरण
लिमिट का समायोजन नहीं कराने से नहीं बन रहे डीडी, आरओ। इसी वजह से किसानो को नहीं मिल पा रहा खाद।
समितियों की साख में अटका खाद का वितरण
प्रवीण श्रीवास्तव, रायसेन. जिले में लगातार खाद आ रहा है, बाबजूद इसके सोसायटियों पर किसानो की भीड़ और हंगामा हो रहा है। किसानो को दो से तीन दिन तक कतार में लगने के बाद खाद मिला रहा है। सुबह पांच बजे से शाम तक खड़े रहने और दूसरे दिन फिर सुबह से कतार में लगने वाले किसानो को इसके बाद भी खाद नहीं मिलता तो वे हंगामा पर उतर आते हैं। जबकि मार्कफैड से बताया जा रहा है कि जिले में पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है। डीएपी की कमी जरूर है, लेकिन वह भी कई सोसायटियों में उपलब्ध है। इसके विकल्प में रूप में एनपीके हर जगह उपलब्ध है। बाबजूद इसके खाद के लिए किसान दिन-रात मशक्कत कर रहे हैं। खाद की उपलब्धता के बाद भी किसानो को नहीं मिलने में सोसायटियों की साख का अडंगा आ रहा है। पत्रिका ने इस मुद्दे पर तह तक जाने के प्रयास किए तो यह तथ्य निकलकर सामने आए कि जिला सहकारी बैंक से जुड़ी सहकारी समितियों के कर्ता धर्ताओं की कारगुजारी से जिले में अनावश्यक खाद संकट बना हुआ है।
नहीं कराया लिमिट का समायोजन
जिला सहकारी बैंक सूत्रों के अनुसार सहकारी समितियां अपनी लिमिट का समायोजन नहीं करा पा रही हैं, जिससे खाद मिलने के बाद भी वे किसानो को नहीं दे पा रही हैं। जिले में 113 समितियां हैं, जिनमें से कुछ डिफाल्टर हैं। बाकी समितियों की लिमिट अप्रेल माह में ही बना दी गई थीं। लिमिट राशि लगभग 20 लाख का समायोजन नहीं कराने से लिमिट का नवीनीकरण नहीं हो पा रहा है। ऐसे में खाद सप्लाई करने वाली कंपनियां खाद बेचने की अनुमति नहीं दे सकती हैं।
क्या है डीडी, आरओ की पूरी प्रक्रिया
– नियमानुसार जिला सहकारी बैंक द्वारा समिति की लिमिट बनाई जाती है। उस लिमिट राशि के अनुसार समिति द्वारा डीडी और आरओ बनाकर मार्कफैड को भेजे जाते हैं। मार्कफैड से वेयर हाउस रिसीप्ट जारी की जाती है, जो खाद सप्लाई करने वाली कंपनी के पास जाती है। कंपनी उसे वेरिफाई करती है, फिर मार्कफैड से लिमिट के अनुसार खाद की मात्रा जारी की जाती है। इसके बाद समिति से खाद का वितरण हो पाता है।
– जिला सहकारी बैंक द्वारा समिति की लिमिट बनाई जाती है। समिति की मांग के अनुसार उस लिमिट के अंदर जिला सहकारी बैंक द्वारा समिति को लोन दिया जाता है। जिससे समिति डीडी, आरओ बनाकर मार्कफैड को देती है। खाद मिलने के बाद समिति किसानो को खाद का वितरण कर, किसानो की सूची बैंक भेजकर उसका समायोजन कराती है। इसके बाद लिमिट से फिर लोन मिलता है।
ये है स्थिति
जिले में 113 समितियों में से लगभग 50 समितियों में आज की स्थिति खाद उपलब्ध है, लेकिन 8-10 समितियों के ही डीडी, आरओ बन रहे हैं। मार्कफैड से मिली जानकारी के अनुसार समितियों को 2000 मेट्रिक टन खाद दिया गया है, जिसमें से लगभग 500 टन खाद के ही डीडी, आरओ मार्कफैड को मिले हैं। समिति सूत्रों के अनुसार जिला सहकारी बैंक में 40-40 किसानो की सूची का समायोजन किया जा रहा है। उसमें भी एक समिति के समायोजन में एक सप्ताह का समय लग रहा है, इस धीमी प्रक्रिया के चलते खाद वितरण में देरी हो रही है।
अधिकारी बच रहे जबाब देने से
खाद वितरण से संबंधित किसी भी सवाल का जबाब देने से अधिकारी बच रहे हैं। पत्रिका ने जिला सहकारी बैंक के सीइओ एम सिद्धिकी तथा मार्कफैड के प्रबंधक नीरज भार्गव से संपर्क करना चाहा तो दोनो ने फोन रिसीव नहीं किए। खाद वितरण की इस पूरी प्रक्रिया की जानकारी विभागीय सूत्रों से मिली है।
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