रामलीला मेला समिति के सदस्य पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला, दुर्गा प्रसाद शर्मा, जगत प्रकाश शुक्ला ने बताया कि ‘रविवार को रामलीला मेला महोत्सव में जब लंका के अनेक वीरयोद्धा असुर एक के बाद एक महासंग्राम में वीर गति को प्राप्त हो जाते हैं। तब दरबार में लंकापति दशकंधर काफी विचलित होता है।
इसके बाद पाताल लोक के राजा व उसके पुत्र अहिरावण को आकर्षण मंत्र का जाप कर लंका दरबार बुलाता है। लंकापति उन्हें बताता है कि दो तपस्वी राजकुमारों ने तुम्हारी बुआ सूर्पनखा के नाक, कान काट दिए चेहरा विकृत कर दिया। तब मैंने राम की पत्नी सीता का हरण कर अशोक वाटिका में राक्षसी पहरे में कैद कर लिया है। इसके बाद पाताल लोक के राजा अहिरावण विभीषण का वेश रखकर रात के समय रामदल जाता है। पहरे में रात के समय हनुमानजी मिलते हैं।
पवन पुत्र उससे प्रश्न करते हैं कि विभीषण आप इतनी रात कैसे रामदल में आए। अहिरावण माया फैलाकर सोते समय रामदल से श्रीराम लक्ष्मण का हरण कर पाताल लोक ले जाता है। इसके बाद हनुमानजी पाताल जाते और वहां के मुख्य द्वार पर उनके पुत्र मकराध्वज से युद्ध होता है। जैसे ही अहिरावण, महिरावण चंडी माता के सामने उन्हें प्रसन्न करने कटार से राम लक्ष्मण की बलि चढ़ाने लगता है।
तभी पवन पुत्र अहिरावण से महासंग्राम कर उसका वध कर देते हैं। श्रीराम लीला मेला समिति के प्रवक्ता सीएल गौर, कस्बा पटवारी कन्हैयालाल चंद्रवंशी ने बताया कि सोमवार को श्रीराम लीला महोत्सव में नारांतक वध की लीला का प्रसंग होगा।