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school : नौनिहालों का भविष्य खतरे में, यहां हिन्दी के शिक्षक पढ़ा रहे अंग्रेजी

सरकारी स्कूलों के हाल बदहाल जिले में आठ माध्यमिक और 12 प्राइमरी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई इस तरह हुई शुरू सुविधाएं और पर्याप्त शिक्षकों का अभाव

रायसेनAug 19, 2019 / 03:47 pm

Amit Mishra

mp school

रायसेन। लगभग तीन वर्ष पहले सरकारी प्राइमरी government school और मिडिल स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम English medium का पाठ्यक्रम शुरू किया गया था। इस पाठ्यक्रम को शुरु करने के पीछे शिक्षा विभाग की यह मंशा थी, कि निजी स्कूलों के मुकाबले सरकारी स्कूलों के बच्चे भी अंग्रेजी भाषा में दक्ष हो सकें। इसके लिए जिले के सातों ब्लॉकों में चुनिंदा प्राइमरी, मिडिल स्कूलों का चयन किया गया था, लेकिन तीन साल बाद भी शासन का यह प्रयास बेहतर साबित नहीं हो सका, क्योंकि अंग्रेजी माध्यम के लिए चयनित स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़े शिक्षकों का टोटा बना है।

 

पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से कराई जानी है
प्रत्येक स्कूल में मात्र एक शिक्षक ही अंग्रेजी विषय पढ़ाने के लिए रखे गए हैं। बाकी विषयों की पढ़ाई हिन्दी विषय के शिक्षक ही करा रहे। जबकि इन चयनित स्कूलों में पूरे विषयों की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से कराई जानी है, तो हिन्दी विषय को छोड़कर सभी शिक्षकों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षाधारी होना चाहिए।

पुस्तकें भी उपलब्ध नहीं
इसके अलावा अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई करने के लिए छात्रों को पुस्तकालय में पुस्तकें भी उपलब्ध नहीं है। जिला शिक्षा केन्द्र के दफ्तर से मिली जानकारी के अनुसार जिले में आठ प्राइमरी और 12 मिडिल स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा छात्र-छात्राओं को दी जा रही है।

 


नहीं हो रही मॉनीटरिंग
अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई सरकारी स्कूलों में करवाने के शिक्षा विभाग ने फरमान तो जारी कर दिए और यह व्यवस्था भी शुरू कर दी, लेकिन उन स्कूलों में किस तरह से बच्चों को अंग्रेजी की पढ़ाई करवाई जा रही है और बच्चों के ज्ञान का स्तर क्या है। इसकी जांच विभाग के अधिकारियों द्वारा नहीं की जाती।

शैक्षणिक स्थिति की पता भी नहीं चल पाता
इस कारण शैक्षणिक गुणवत्ता और बच्चों की शैक्षणिक स्थिति की पता भी नहीं चल पाता।कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि विभागीय अधिकारियों द्वारा सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाकर प्रगति बताई जा रही। यही नहीं इन स्कूलों में अलग से कक्षों की व्यवस्था भी नहीं है। आलम ये है कि थोड़ी-बहुत अंग्रेजी जानने वाले शिक्षकों को ही काउंसलिंग द्वारा इन स्कूलों में पढ़ाने की जिम्मेदारी दे दी गई।


ये है स्थिति
पुराना थाना के समीप संचालित मिडिल स्कूल परिसर में बने दो कक्षों में अंग्रेजी माध्यम की कक्षाएं लगाई जा रही है। मगर यहां पर बच्चों को अंग्रेजी की पुस्तकें स्कूल की लाइब्रेरी में नहीं मिल पाती। नतीजा इन तीन वर्षों में शैक्षणिक स्थिति की पता भी नहीं चल पाता में अंग्रेजी माध्यम से पढऩे का कोई प्रभाव नहीं दिखा।

बच्चों को फर्नीचर नहीं मिली
ऐसा ही हाल भवन का भी है, यहां क्लास की छत से थोड़ी सी बारिश में पानी टपकता रहता है। स्तर के मान से बच्चों को फर्नीचर की सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो सकी। अंग्रेजी माध्यम के छात्र-छात्राओं के लिए अभी स्कूल परिसर में पृथक शौचालय भी नहीं बन सका।

 

 

कैसे होगी आगे की पढ़ाई
इन सरकारी स्कूलों में जैसे-तैसे बच्चों को आठवीं तक अंग्रेजी की पढ़ा भी दी जाए, तो वे आगे की कक्षाओं अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई कैसे कर सकेंगे, यह भी बड़ा सवाल है, क्योंकि इन स्कूलों में पढ़ाने वाले ज्यादातर शिक्षक अंग्रेजी में दक्ष नहीं है।


30 छात्र उतीर्ण होते हैं
विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार यदि अंग्रेजी माध्यमिक शाला से 30 छात्र उतीर्ण होते हैं, तो अलग से अंग्रेजी माध्यम की हाईस्कूल कक्षाएं शुरू कराने के लिए शासन से अनुमति मिल सकती है। अभिभावक आठवीं के बाद अपने बच्चों को कहां पर प्रवेश दिलाकर अंग्रेजी की पढ़ाई करवाएंगे, यह समस्या सामने आ रही। ऐसे हालातों में तो पालकों को नवमीं कक्षा से आगे की पढ़ाई निजी स्कूलों में करानी होगी।

 

 

अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई के लिए जिले के आठ मिडिल और 12 प्राइमरी स्कूलों में कक्षाएं लग रही है। प्रत्येक स्कूल में एक-एक शिक्षक अंग्रेजी विषय के रखे गए हैं। इनके अलावा अन्य विषयों की पढ़ाई उन स्कूलों में पदस्थ शिक्षक अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई करवा रहे।
– विजय नेमा, डीपीसी, जिला शिक्षा केन्द्र।

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