मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर दूर स्थित है भोजपुर। इससे लगती हुई पहाड़ी पर एक विशाल शिव मंदिर है जिसे भोजेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज (1010 ई – 1055 ई ) द्वारा किया गया था। इस मंदिर का विशाल शिवलिंग हैं विशव में एक ही पत्थर से निर्मित सबसे बड़ा शिवलिंग है। इस शिवलिंग की लम्बाई 5.5 मीटर (18 फीट ), व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट ), और केवल-लिंग की लम्बाई 3.85 मीटर (12 फीट ) है।
इसका निर्माण सिर्फ एक रात में किया गया था। और इसे अधूरा भी सिर्फ इसलिए छोड़ दिया गया क्योंकि निर्माण होते-होते सुबह हो गयी थी। हालांकि इसके पीछे के स्पष्ट कारण के बारे में कोई नहीं जानता। इस मंदिर के पीछे वाले भाग में ढलान है जिसका इस्तेमाल मंदिर को बनाने में उपयोग में आने वाले विशाल पत्थरों को ढोने के लिए किया गया था।
इस मंदिर का निर्माण भारत में इस्लाम के आगमन के पहले हुआ था। मंदिर में गुम्बदाकार छत भी है। ऐसा माना जाता है कि गर्भगृह के ऊपर बनी अधूरी गुम्बदाकार छत से ही भारत के मंदिरों में गुम्बद निर्माण प्रचलन में आया। कुछ विद्धान इसे ही भारत में सबसे पहले गुम्बदीय छत वाली इमारत मानते हैं। मंदिर का दरवाजा भी किसी हिंदू घर के इमारत के दरवाजों में सबसे बड़ा है।
– मंदिर की 40 फीट ऊचाई वाले चार स्तम्भ हैं। गर्भगृह की अधूरी बनी छत इन्हीं चार स्तंभों पर टिकी है।
– भोजेश्वर मंदिर के विस्तृत चबूतरे पर ही मंदिर के अन्य हिस्सों, मंडप, महामंडप तथा अंतराल बनाने की योजना थी।
– ऐसा मंदिर के निकट के पत्थरों पर बने मंदिर- योजना से संबद्ध नक्शों से पता चलता है।
– महाशिवरात्रि पर यहां तीन दिवसीय भोजपुर महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
– भोजपुर शिव मंदिर के बिलकुल सामने पश्चमी दिशा में एक गुफा है जो कि पार्वती गुफा के नाम से जानी जाती है।
– यहां पुरातात्विक महत्तव की अनेक मुर्तिया हैं।
– भोजपुर में एक अधूरा जैन मंदिर भी है।
– इस मंदिर में भगवन शांतिनाथ कि 6 मीटर ऊंची मूर्ति हैं।
– इस मंदिर में लगे एक शिलालेख पर राजा भोज का नाम लिखा है।