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अस्पताल में दर्द से तड़पती रही महिला, डॉक्टरों ने नहीं दिया ध्यान, चली गई जान

एनीमिया से पीडि़त महिला के इलाज में हुई लापरवाही परिजनों ने किया हंगामा, मौके पर पहुंचे एसडीएम, तहसीलदार और पुलिस बल दोषी डॉक्टरों पर कार्रवाई की उठाई मांग

रायसेनSep 19, 2019 / 01:26 pm

Amit Mishra

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रायसेन। सीमित संसाधनों और सुविधाओं के बावजूद भी यदि चिकित्सा कर्मचारी लापरवाही doctors negligence करें तो इसका परिणाम मरीज को ही भोगना पड़ता है। जी हां, ऐसा मामला तब सामने आया, जब बुधवार को दोपहर में जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती एक 30 वर्षीय महिला की Woman died मौत हो गई। महिला की मौत उस समय हुई जब दोपहर लगभग साढ़े बारह बजे उसे ब्लड चढ़ाया गया था, वह दर्द से तड़पती रही। जबकि नियम अनुसार जब मरीज को ब्लड चढ़ाया जाता है, तब संबंधित डॉक्टर देखभाल भी करते हैं। मगर डॉक्टर गैर हाजिर रहे। दो नर्स मरीज को ब्लड चढ़ाने के बाद ड्यूटी रूम में चली गईं।


इसके बाद करीब बीस मिनट बाद ही विवाहिता ने दम तोड़ दिया। जबकि डॉक्टरों ने परिजनों को खून की कमी होने के बारे में बताया था। परिजनों ने ड्यूटी डॉक्टरों व जिला अस्पताल प्रबंधन के अधिकारियों की मनमानी व लापरवाही के आरोप लगाए हैं। इस सारे मामले में डॉक्टरों को दोषी ठहराते हुए उचित दंडात्मक कार्रवाई की मांग की।

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मामले को बमुश्किल शांत कराया
यह खबर मिलते ही श्री हिउस के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल, पूर्व नपाध्यक्ष राजकुमार यादव भी अस्पताल पहुंचे। इस दौरान मृतका के परिजनों रिश्तेदारों ने जिला अस्पताल जमकर हंगामा किया। कलेक्टर को सूचना मिलते ही एसडीएम एलके खरे, तहसीलदार सुशील कुमार सहित कोतवाली टीआई जगदीश सिंह सिद्धू मौके पर पहुंचे। नाराज लोगों को समझाइश देकर इस मामले को बमुश्किल शांत कराया।


शव को घर से वापस लाए मर्रचुरी
विवाहिता की मौत हो जाने के बाद उसके परिजन शव को लेकर घर चले गए थे, लेकिन जब परिजन और श्रीहिउस के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल जब दोषी डॉक्टरों पर कार्रवाई की बात को लेकर अड़ गए तो कलेक्टर उमाशंकर भार्गव के निर्देश पर तीन डॉक्टरों की टीम बनाकर एसडीएम एतहसीलदार की मौजूदगी मेें शव का पीएम कराया गया। इसके बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया। बाद में बुधवार की शाम उसका नरापुरा भोपाली फाटक वाले मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार कर दिया गया।

पौने एक घंटे देरी से पहुंचे सिविल सर्जन
श्रीहिउस के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल व परिजनों को अस्पताल प्रबंधन के अधिकाारियों का काफी इंतजार करना पड़ा। करीब पौने एक घंटे बाद पहुंचे सिविल सर्जन डॉ.बीबी गुप्ता। इस गंभीर मामले को लेकर बहसबाजी भी हुई। इस मामले में दोषी डॉ. एमएल अहिरवार को भी बुलाया गया।


मृतका शीतल यादव के पति बबलू यादव ने भी डॉक्टर अहिरवार पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं साथ ही नर्सों को भी दोषी ठहराया गया। मृतका के पति बबलू यादव कहना था कि जब ब्लड चढ़ाया गया तो मेरी पत्नी ठीक थी, लेकिन 20 मिनट बाद उसने तड़पना शुरू कर दिया। मैं कमरे में से नर्सों को बुुलाकर लाया तो उसकी थोड़ी देर में मौत हो गई थी। संभवतया खून गलत चढ़ाने से ही उसकी पत्नी शीतल की मौत हो गई है। मृतका के दो पुत्र एक पुत्री है।

 

अस्पताल में मनमानी
जिला अस्पताल में लंबे अरसे से मनमानी का आलम है। मृतका शीतल यादव की डॉक्टरों, नर्सों की लापरवाही से हुई मौत के बाद मरीजों के परिजनों ने खुलकर अस्पताल प्रबंधन के अधिकारियों पर निशाना साधा। वार्ड 13 तजपुरा मोहल्ला निवासी राजकुमार सेन की पत्नी को भी पहली डिलेवरी के लिए प्रसूति केंद्र में भर्ती कराया।


इसका इलाज डॉ. दीपक गुप्ता, डॉ. प्रीतिबाला सोनकर व एक अन्य महिला डॉक्टरों की मौजूदगी में चल रहा था। मेडिकल आफिसर डॉ. गुप्ता ने प्रसूता के परिजनों को डरा दिया कि बच्चा उल्टा फंसा है। घबराए परिजनों को खुद के सांची रोड स्थित नर्सिंग होम में ले जाने का दबाव बनाया। डिलेवरी के दौरान राजकुमार सेन की पत्नी के नवजात की मौत हो गई। इस मामले में वार्ड 13 रायसेन की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रतिभा शुक्ला ने राजकुमार सेन को ही धमकी देते कहा कि शिक्षामंत्री, कलेक्टर जिससे शिकायत करना चाहो, कर दो। हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

 

हो रही लापरवाही
सिंहपुर गैरतगंज निवासी रामसेवक अहिरवार अपनी पत्नी आरती अहिरवार उम्र 20 की पहली डिलेवरी के लिए प्रसूति केंद्र लाए हैं। उसके पेट पैर में सूजन के कारण स्त्री रोग विशेषज्ञ इंचार्ज पीपी वार्ड डॉ. सुनीता अतुलकर डिलेवरी कराने में लापरवाही बरत रही, पांच दिन गुजर चुके हैं।


अंडिया उदयपुरा निवासी हल्केराम की शिकायत थी कि ड्यूटी नर्सें मरीजों के परिजनों के साथ अभ्रदता करती हैं। वह गैर जिम्मेदारी तरीके से बोलीं चाहे तुम्हारा मरीज मर जाए हमें कुछ लेना-देना नहीं है। परेशान मरीजों के परिजनों ने एसडीएम, तहसीलदार के सामने मौखिक रूप से शिकायतें की।

 

यह है मामला

शहर के फौजदारपुरा वार्ड तीन रायसेन निवासी शीतल यादव पत्नी बबलू यादव उम्र 20 वर्ष को बुखार आने पर 17 सितंबर सोमवार को मेडिकल अधिकारी डॉ. यशपाल सिंह बाल्यान को चेकअप कराने के बाद भर्ती कराया गया। उपचार कराने के बाद सोमवार की रात उसे परिजन घर ले गए।


मंगलवार को सुबह करीब 10 बजे पति बबलू यादव के साथ उसकी पत्नी शीतल यादव घर से पैदल चलकर अस्पताल के आईसीयू पहुंचीं। मेडिकल ऑफीसर डॉ. एमएल अहिरवार ने मलेरिया की जांच कराई, तो उसकी रिपोर्ट पॉजीटिव निकली। साथ ही जांच रिपोर्ट के आधार पर शरीर में एनीमिया की शिकायत भी मिली और हीमोग्लोबिन मात्रा पांच थी।

 

खून में प्लेटलेट्स की मात्रा भी 20 हजार थी। मगर इसके बावजूद डॉ. अहिरवार उसके परिजनों को उसे ब्लड चढ़ाने के आदेश देकर चले गए। बुधवार को डॉक्टर अहिरवार के कहने पर नर्सों ने ब्लड चढ़ाया और चली गईं। इस दौरान शीतल का पति बबलू यादव मौजूद था। मगर थोड़ी देर बाद लगभग पौने एक बजे उसने दम तोड़ दिया।

 

मृतका के शव का पीएम तीन चयनित डॉक्टरों की टीम से निष्पक्ष तरीके से कराया गया है। इस मामले की बारीकी से जांच पड़ताल की जा रही है। इस मामले में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
-उमाशंकर भार्गव, कलेक्टर


मृतका शीतल यादव की मलेरिया पॉजीटिव रिपोर्ट मिली थी। खून में प्लेटलेट्स की मात्रा भी कम पाई गई थी। एनीमिया के कारण शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा में भी कमी मिली थी। संभवतया डेंगू बुखार के कारण उसकी मौत हुई है।
-डॉ. बीबी गुप्ता, सिविल सर्जन अस्पताल रायसेन।

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