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जरा सी हवा में गुल हो जाती है बिजली

थोड़ी सी देर हवा-आंधी चलने या फिर मामूली फाल्ट आने पर शहर की बिजली बंद हो जाती है।

रायसेनAug 19, 2018 / 10:00 am

मनोज अवस्थी

 bijli

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रायसेन. बिजली कंपनी द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर शहर में हाईटेक बिजली व्यवस्था स्थापित कर उपभोक्ताओं को २४ घंटे सप्लाई देने का दावा किया जा रहा है। लेकिन वास्तविकता में यह दावा हवाई साबित हो रहा है। थोड़ी सी देर हवा-आंधी चलने या फिर मामूली फाल्ट आने पर शहर की बिजली बंद हो जाती है। इसका कारण वर्षों पुराने बिजली खंभे और उन पर खिंचे तार हैं। वहीं लाइनों के बीच में पेड़ भी बिजली सप्लाई में बाधक बन रहे हैं। जबकि कंपनी अधिकारियों द्वारा समय-समय पर मेंटनेंस किया जाता है।

लगभग छह वर्ष पहले कंपनी द्वारा शहरी क्षेत्र के लिए आरएपीडीआरपी योजना के तहत करीब चार करोड़ ७० लाख रुपए खर्च लाइनों को बदलने, नए खंभे लगाने और नए ट्रांसफार्मर रखने का काम किया गया था। इसके अलावा कम्प्युटर साफ्टवेयर में नई तकनीक, एटीपी मशीन भी लगाई गई है। कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं को घर बैठे बिजली बिल जमा करने, ऑनलाइन नए कनेक्शन देने सहित अन्य सुविधाएं हाईटेक करने का दावा किया जा रहा है। लेकिन उपभोक्ताओं को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। साथ ही बिजली कटौती का दशं भी उपभोक्ता निरंतर झेल रहे हैं। शनिवार को सुबह पांच बजे से साढ़े दस बजे तक गोपालपुर फीडर यानि आधे शहर की बिजली सप्लाई बंद रही। वार्ड १३ संस्कार बिहार में फाल्ट आने से यह समस्या बनी थी।

अब एक और नई योजना पर खर्च
आईपीडीएपी योजना के तहत करीब पांच करोड़ ३१ लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार आरएपीडीआरपी योजना में छूटे कार्यों को इसमें शामिल किया गया है। योजना के तहत शहर में सौ और दो सौ केव्हीए के दस ट्रांसफार्मर विभिन्न क्षेत्रों में रखे जाने हैं। ईदगाह के पीछे एक नया सब स्टेशन बनेगा। बताया जा रहा है कि अब तक दो ट्रांसफार्मर रखे जा चुके हैं। ज्यादा उपभोक्ता वाले दरगाह फीडर को दो भागों में बांटकर नया फीडर बनाया जाएगा।

नहीं बदले हालात
आरएपीडीआरपी योजना के तहत ११ और ३३ केव्हीए लाइन से जुड़े कई क्षेत्रों में करीब २० वर्ष पुराने खंभों और लाइनों को बदला जाना था। लेकिन इन लाइनों को नहीं बदला गया। शहर में पुरानी बस्ती सहित सागर रोड पर आज भी पुराने झूलते हुए तार और ट्रांसफार्मर लगे हुए हैं। इनकी क्षमता अब कम होती जा रही है। पुराने खंभों पर रंग-रोगन कर दिया जाता है और तार टूटने पर उसे जोडक़र काम चलाया जा रहा है। अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत के चलते आरएपीडीआरपी योजना में अधिकतर काम तो कागजों में पूरा कर लिया गया है। शहर में बिजली वितरण के लिए चार फीडर बनाए गए हैं। जेल फीडर, गोपालपुर फीडर, दरगाह फीडर और एक वीआईपी फीडर बनाया गया है। इनमें गोपालपुर और दरगाह फीडर में दबाव अधिक है।

कई स्थानों पर झूलते तार, पुराने खंभे, पुराने डीपी स्टेण्ड सहित ट्रांसफार्मरों के खुले बाक्स, कट आउट व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं। इस तरह की अव्यवस्था से हादसा होने की संभावना रहती है।

बिजली कटौती जारी
बिजली कंपनी द्वारा बारिश से पहले और समय-समय पर लाइनों में सुधार सहित पेड़ों की टहनियों की छंटाई कराई जाती है। इसके बाद भी आए दिन फाल्ट होने और मेंटनेंस कार्य किया जाता है। पिछले दस दिनों से शहर में सुबह से शाम तक लगभग एक से डेढ़ घंटे की कटौती अघोषित रूप से की जा रही है।

संसाधनों की कमी
शहर में आठ हजार नौ सौ उपभोक्ता हैं। जिला मुख्यालय पर बढ़ रही आबादी के मान से बिजली कंपनी दफ्तर में सुविधाएं और संसाधनों की कमी लंबे अरसे है। यदि कभी लाइन में बड़ा फाल्ट आ जाए तो उसे सुधारने में करीब तीन से पांच घंटे लग जाते हैं।
वहीं कंपनी के पास स्वंय की हाईड्रोलिक मशीन नहीं है। पिछले वर्ष नगर पालिका ने यह मशीन खरीदी है। कई बार नपा से ही यह मशीन बुलानी पड़ती है, तब जाकर ऊंचे पेड़ों की टहनियों को काटकर लाइनों से अलग किया जाता है। इसके बाद खंभों पर लाइनों को दुरुस्त कर सुधार होता है।

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