जिसमें शासन की योजना के विपरीत कुछ एंबुलेंस संचालक इस योजना को पलीता लगाने में लगे हुए हैं, यही कारण है कि यदि आप कॉल सेंटर पर कॉल करेंगे तो एंबुलेंस को बिजी ही बताया जाता रहेगा, लेकिन जब आपकी रुपए से संबंधित बात हो जाएगी तो खुद एंबुलेंस चालक सीधी बात कर लेगा और तो और कॉल सेंटर से भी रिटर्न मरीज का टेंडर के पास कॉल वापस आ जाएगा। यह हम नहीं कह रहे लेकिन जिस तरह के सबूत और शिकायत मिली है उससे कुछ ऐसा ही लगता है।
क्या है मामला
जिला चिकित्सालय में जीरापुर के सूस्याहेड़ी में रहने वाली संतोष पति सुरेश वर्मा का प्रसव हुआ था। जिसके बाद रविवार को उन्हें छुट्टी दी गई। एंबुलेंस के लिए लगातार सुरेश कॉल सेंटर पर फ ोन करते रहे, लेकिन वहां से एक ही जवाब मिल रहा था कि एंबुलेंस बिजी है। इसी बीच एक गाड़ी चालक ने उनसे संपर्क किया और बताया कि यदि कुछ खर्च करोगे तो जीरापुर लोकेशन से संबंधित एंबुलेंस से बात करा देता हूं।
सुरेश की परेशानी थी इसलिए उन्होंने रुपए देने के लिए हां कर दिया। इसके बाद एंबुलेंस चालक का कॉल सुरेश के पास आता है। जिसमें 300 रुपए देने की बात कही जाती है। यह राशि देने के लिए भी सुरेश हां कर देते हैं। हां, कहने के साथ ही कॉल सेंटर से कॉल आता है कि एमपी 04 डीबी 2710 नंबर की गाड़ी अभी जिला अस्पताल आ रही है और इसके बाद तुरंत जिस ड्राइवर से 300 रुपए में बात हुई वह ड्राइवर गाड़ी लेकर जिला अस्पताल पहुंचता है और जच्चा बच्चा को लेकर सूस्याहेड़ी गांव पहुंच जाता है। सुरेश ने बताया कि उसने संबंधित गाड़ी के चालक को 300 रुपए दिए।
जिला प्रभारी के नंबर की इनकमिंग सेवाएं बंद
जब मामले में 108 एंबुलेंस के जिला प्रभारी से चर्चा करनी चाही तो उनके मोबाइल नंबर 8878828567 की इनकमिंग सेवाएं बंद बताई गई। सवाल उठता है कि आखिर कब तक पीडि़तों से इस तरह की वसूली होती रहेगी और जिम्मेदार चुप्पी साधे रहेंगे।
रुपए वापस कर शिकायत न करने बनाया दबाव
सुरेश वर्मा ने जब पत्रिका कार्यालय पहुंचकर दोबारा से उसी नंबर पर कॉल किया तो वहां से समझाया की गाड़ी नहीं मिल रही तो हमने तो आपका काम चलाया, आप प्रेस में हमारी शिकायत कर रहे हो। यदि रुपए वापस चाहिए तो वह दे देता हूं। वहीं जिस चालक ने सबसे पहले रुपयों में सेटिंग कराने की बात की थी। उसका भी वापस कॉल आता है और गांव में रिश्तेदारी निकालते हुए शिकायत न करने के लिए कहता है।