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राजगढ़

टीम के आने के पहले संवर गया अस्पताल, पंसद आया पुरानी अलमारी का जुगाड़,देखें वीडियो

-टीम ने बारीकि से जांची अस्पताल की व्यवस्थाएं, फाइनल रिव्यू अभी नहीं दिया, स्टेट लेवल पर होगा मूल्यांकन

राजगढ़Jan 27, 2020 / 06:51 pm

Amit Mishra

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ब्यावरा@ राजेश विश्वकर्मा की रिपोर्ट…
करीब महीनेभर से सिविल अस्पताल को चमकाने में लगे प्रबंधन के काम को परखने भोपाल से कायाकल्प की टीम सोमवार सुबह आई। टीम ने ओपीडी से लेकर वार्ड, इंजेक्शन कक्ष, चिकित्सक कक्ष, लैबर रूम, टॉयलेट, किचिन, ब्लड बैंक, लैब इत्यादि का बारीकि से निरीक्षण किया। एक-एक काम को प्रोटोकॉल के हिसाब से जांचा।


किचिन के काम के लायक बनाया
दो सदस्यीय टीम में मूल्यांकनकर्ता डॉ. हर्षिता सिंह और सीहोर के डीपीएम डॉ. धीरेंद्र आर्य ने अस्पताल के डॉक्टर्स के साथ निरीक्षण किया। चिकित्सकों के कक्ष का रिव्यू लेने के बाद टीम किचिन पहुंची, जहां उन्हें पुरानी अलमारी का जुगाड़ पंसद आया। यहां स्टॉफ ने खराब हो चुकी अलमारी को किचिन के काम के लायक बनाया, उसमें राशन इत्यादि भर रखा था।

 

अन्य तमाम बिंदुओं पर स्टॉफ से बात की
इसके बाद टॉयलेट में गंदगी दिखी तो टीम ने सुधार के निर्देश दिए। इस दौरान वे बिंदूवार पाइंट नोट कर रहे थे। डिस्पेंसरी में एक अतिरिक्त कम्प्यूटर ऑपरेटर की व्यवस्था का भी उन्होंने बताया। इंजेक्शन कक्ष में ऑक्सिजन सिलेंटर को निकालने, लगाने सहित अन्य तमाम बिंदुओं पर स्टॉफ से बात की।

 

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बायोमेडिकल वेस्ट इत्यादि की जानकारी ली
इसके अलावा लैबर रूम में डिलिवरी के बाद बरती जाने वाली सावधानियां, प्रोटोकॉल के हिसाब से सामग्री का उपयोग, उनकी सफाई इत्यादि पर भी फोकस किया। खास बात यह है कि कायाकल्प की टीम ने किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रया न स्टॉफ को दी न किसी ओर को, पाइंट टू पाइंट उन्होंने रिव्यू किया। कायाकल्प के प्रोटकॉल के हिसाब से सफाई व्यवस्था, अस्पताल के बाहर की व्यवस्था, बायोमेडिकल वेस्ट इत्यादि की जानकारी ली।

 

ये रहे मौजूद
इस दौरान टीम के साथ कायाकल्प के प्रभारी डॉ. सौरिन दत्ता, डॉ. शैली गर्ग, डॉ. शरद साहू, डॉ. प्रदीप मिश्रा, डॉ. राकेश गुप्ता, डॉ. संदीप नारायण, डॉ. आर. के. जैन, डॉ. जे. के. शाक्य, डॉ. पी.
गुप्ता सहित अन्य मौजूद रहे।

 

अव्वल आने कम से कम चाहिए 70 प्रतिशत अंक
कायाकल्प अभियान स्वास्थ्य विभाग का राष्ट्रीय प्रोग्राम है। इसमें किसी भी अस्पताल को शामिल होने के लिए कम से कम 70 प्रतिशत अंक जरूरी होते हैं। हाल ही में अस्पताल प्रबंधन ने कायाकल्प के लिए खुद को 85 प्रतिशत अंक दिए थे, इसके बाद आई जिले की टीम ने 78 प्रतिशत अंक दिए। तब जाकर कायाकल्प की कैटेगिरी में अस्पताल शामिल हुआ।


अभियान में शामिल नहीं था
इससे पहले कंस्ट्रक्शन के कारण ब्यावरा अस्पताल इस अभियान में शामिल नहीं था। कायाकल्प के रिव्यू में हर पाइंट के दो नंबर निर्धारित हैं। यानि किसी भी काम को लेकर यदि उनके द्वारा पूछा गया और बताने के तरीके में उन्हें कुछ लगा तो उसमें मार्किंग कम हो सकती है। एक-एक बिंदू पर उन्होंने काम किया, बारीकी से परखा और फीडबैक लिया।

इन बिंदुओं पर होता है कायाकल्प का रिव्यू
-इन्फास्ट्रक्चर और मैंटेनेंस।
-अस्पताल की सुविधाएं।
-जमीनी स्वच्छता, पौधारोपण।
-मवेशियों के अंदर-बाहर पाए जाने पर रोक।
-काम का ओव्हरऑल मैनेजमेंट।
-खुले एरिया का प्रॉपर मैंटेनेंस।
-जल संरक्षण, पीने का पानी और अन्य भी।
-बॉयोमेडिकल वेस्ट मटेरियल का संधारण।
-इन्फेक्शन कंट्रोल।
-अस्पताल में मिलने वाला बाहरी संस्थआओं का सहयोग।
-अस्पताल में स्वच्छता, सुविधाओं का प्रचार, जागरूकता।
(नोट : ये कायाकल्प का दायरा है, इसमें कुछ अन्य बिंदू भी हैं जिनमें टीम रिव्यू करती है, इन्हीं के आधार पर संबंधित अस्पताल को मार्किंग की जाती है।)

 

50 लाख है पहला पुरुस्कार
कायाकल्प टीम में राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन के आधार पर पहला बेस्ट पुरुस्कार 50 लाख का होता है। इसमें दूसरी और तीसरी कैटेगरी में पहला पुरुस्कार 50 लाख और रनर अप (सैकेंड) को 20 लाख मिलते हैं। वहीं, सिविल अस्पताल कैटेगिरी में प्रदेश के 10 जिलों में टॉप 2 सिविल अस्पताल चुने जाते हैं, जिन्हें क्रमश : 10 और 15 लाख रुपए का ईनाम मिलता है। इसी तरह बेस्ट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को दो लाख रुपए का पुरुस्कार मिलना है।


हालांकि कायाकल्प के लिए संबंधित अस्पतालों को फंड भी मिलता है, जीरापुर और पचोर, नरसिंहगढ़ को मिला भी था। ब्यावरा अस्पताल को कोई फंड इसके लिए नहीं मिला, जन सहयोग और अस्पताल प्रबंधन ने अपने स्तर पर साज सज्जा और रिनोवेशन किया।


फाइनल मूल्यांकन स्टेट को देंगे
अभी हमने पूरा निरीक्षण किया है, इसमें विभिन्न बिंदुओं पर हमें फीडबैक, रिव्यू मिला है। फाइनल मूल्यांकन करना अभी बाकी है और वह हम स्टेट टीम को देंगे। जहां तक बात कायाकल्प की है तो यह अस्पताल से जुड़ी स्वच्छता और पूरे प्रोटोकॉल पर आधारित नेशनल प्रोग्राम है, जिसमें कैटेगिरी डिसाइड की गई है, जो मूल्यांकन के बाद निर्धारित होती है।
-डॉ. हर्षिता सिंह, कॉर्डिनेटर और मूल्यांकनकर्ता, कायाकल्प टीम, भोपाल

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