युवा दंपती को जिले की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का शिकार होना पड़ा। समय रहते यदि वाहन सुविधा और उपचार मिल जाता तो दोनों की जान बच जाती। मृतक के रिश्तेदार मनोज गिर ने बताया कि रात में बड़ी दिक्कतें उन्हें झेलना पड़ी। पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर सुनील ने जननी एक्सप्रेस को कॉल किया लेकिन वे एक घंटे तक टरकाते रहे, बोले कि गाड़ी अभी उपलबध नहीं है। मजबूरन उन्हें बाइक से जाना पड़ा और रास्ते में वे हादसे का शिकार हो गए। अनदेखी का आलम यहीं खत्म नहीं होता, अस्पताल पहुंचे तो यहां भी उन्हें अव्यवस्थाएं ही झेलना पड़ी, उपचार करने वाला डॉक्टर तक उन्हें नहीं मिला। मजबूरन वहां से सीधा भोपाल भेजना पड़ा, जहां उन्हें बचाया नहीं जा सका। जननी सुरक्षा के लिए 24 घंटे की सुविधा के तौर पर जननी एक्सप्रेस की व्यवस्था सभी सरकारी अस्पतालों में कर रखी है, लेकिन हर बार की तरह यहां जननी एक्सप्रेस वाहन नहीं मिल पाए।
कुदरत का करिश्मा… बीच में बैठी थी मृतक की बहिन, हल्की चोटें आई
बाइक पर बीच में मृतक सुनील की बहन सुनीता भी बैठी हुई थी लेकिन उसे हल्की-फुल्की चोटें ही आई है। बताया जाता है कि वे बीच में उसे बैठाकर लाए थे। टक्कर के बाद दंपती नीचे गिर गए, युवती भी साथ में गिरी। महिला को करीब आठ माह का गर्भ था, यह उनकी पहली डिलिवरी थी। परिजनों को काफी खुशी इस बात की थी कि घर में वारिस आने वाला है लेकिन हादसे के बाद उनकी खुशियां मातम में बदल गईं। परिजनों को भरोसा नहीं हो रहा था कि उनके बेटा-बहू अब इस दुनिया में नहीं रहे।