जबलपुर से आई सेंट्रल जीएसटी की टीम ने रंगेहाथों कंपनी को यह करते पकड़ा है। पीलूखेड़ी के उद्योग केंद्र वैरिट ग्लोबल ग्रुप (हिंद सिनटैक्स लिमिटेड) से अवैध तौर पर माल लोड करते हुए ट्रक को जबलपुर से आई सेंट्रल जीएसटी की टीम ने पकड़ा और जांच की।
जांच में सामने आया कि कंपनी द्वारा बिना कोई टैक्स चुकाए सामान बेचा जा रहा है, इसी आधार पर कार्रवाई की गई। देर रात तक इनकम टैक्स विभाग की कार्रवाई चलती रही। अभी तक कार्रवाई में क्या हुआ यह स्पष्ट नहीं हो पाया है।
172 करोड़ का है लोन
पिछले साल नवंबर (2018) में कंपनी दिवालिया हो गई थी। करीब 172 करोड़ रुपए का लोन इलाहाबाद बैंक से लिया गया है। जब नहीं चुका पाए तो बंद कर भाग लिए। बाद में बैंक ने कोर्ट की शरण ली जहां से कंपनी को आधिपत्य में लेने के निर्देश दिए गए।
बैंक ने कंपनी को आधिपत्य में लेने के बाद बैंककर्मियों और कंपनी के लोगों द्वारा मिल के अंदरूनी महंगे पाट्र्स बिना इनवॉइस और टैक्स चुकाए बेचे जा रहे थे। इसी संबंध में शिकायत हुई थी और जबलपुर से टीम कार्रवाई के लिए आई थी।
अधिगृहित की लेकिन बोर्ड तक नहीं लगाया
आश्चर्य की बात यह है कि कंपनी को अधिगृहित करने का नोटिस बोर्ड तक बैंक प्रबंधन ने नहीं लगाया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बैंककर्मी और संबंधित कंपनी के लोगों की मिलीभगत से सीधे तौर पर टैक्स चोरी की जा रही थी।
वैरिट ग्लोबल ग्रुप ने अप्रैल 2013 में उद्योग नगर पीलूखेड़ी में धागा मिल खोली थी। इसके लिए करोड़ों का लोन लिया था। प्रदेश में हुए चुनावों के दौरान लगी आचार संहिता के दौरान कंपनी बंद कर संचालक फरार हो गए।
बैंक पर करीब 172 करोड़ का लोन बाकी था। बैंक के अलावा उक्त मिल पर बिजली कंपनी के भी करीब चार करोड़ रुपए बाकी हैं। जीएसटी इंटलीजेंस ने आधी रात को डाली रेड
पूरे घटनाक्रम की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को चलने के बाद और लगातार शिकायत पर जबलपुर से आई जीएसटी इंटलीजेंस की टीम ने मिल में रेड डाली।
जहां पता चला कि बैंक का इतना बकाया होने के बावजूद कंपनी को सील नहीं किया गया। इसी की आड़ में कंपनी के कुछ लोग बैंक से मिलीभगत कर अंदर की मशीनरी का सामान चोरी छिपे बेच रहे थे।
लोगों का कहना है कि बैंक वाले आते तो थे, लेकिन कंपनी के लोगों से बातचीत कर चले जाते थे। इतनी बड़ी चोरी की भनक जब जीएसटी इंटेलीजेंस को लगी तो रेड डाली गई। जहां खुली पड़ी मशीनरी को जब्त किया गया, अगले दिन देर रात तक भी कार्रवाई जारी रही।
मजदूरों की मेहनत के रुपए भी हड़पे
कंपनी जब भागी तो न सिर्फ बैंक को चपत लगाई बल्कि टैक्स की भी सीधे तौर पर चोरी की। वहीं, कंपनी में काम करने वाले जरूरतमंद और गरीब मजदूरों के हक की राशि भी हड़प ली। उस दौरान तमाम कर्मचारियों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी, इस पर हाईकोर्ट की सख्त हिदायत के बाद उसने आकर मजदूरों का रुपया दिया था।
हालाकि उसमें भी कुछ लोगों के चेक बाउंस हो गए थे, लेकिन कर्मचारियों का छह माह की पीएफ राशि करीब 80 लाख कंपनी ही डकार गई। मामले में जबलपुर से आई सेंट्रल जीएसटी (जीएसटी इंटलीजेंस) के वरिष्ठ अधिकारियों से बात करनी चाही लेकिन उन्होंने कुछ भी बताने से साफ इनकार कर दिया।