ट्रक सहित अन्य वाहन वाले फंस रहे
दरअसल, निर्माण एजेंसी द्वारा बरती गईकोताही के चलते रोड की गुणवत्ता पर उतना ध्यान नहीं दिया गया। एजेंसी (सीडीएस) का दावा है कि हमें रि-टेंडर मिला है तो उसी हिसाब से काम करेंगे जिस हिसाब का स्ट्रक्चर है। ऐसे में कंपनी द्वारा कहीं-कहीं पुराने हिस्से पर ही डामर की परत लगा दी गई वहीं, साइडों में भी मूरम और बोल्डर की जगह काली मिट्टी डाल दी गई, जिस पर अब बारिश में ट्रक सहित अन्य वाहन वाले फंस रहे हैं।
इसके अलावा पूरे रोड पर बारिश के कारण गड्ढे हो गए हैं। पीलूखेड़ी और कुरावर में बन रहे ओव्हरब्रिज के आस-पास रोड लगभग खत्म हो गए हैं, बड़े-बड़े गड्ढों में छोटे वाहन वालों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। निर्माणएजेंसी ने ओव्हरब्रिज के निर्माण के दौरान कोईवैकल्पिक व्यवस्था भी वाहन चालकों के लिएनहीं की है। जो रोड वैकल्पिक तौर पर बनाया गया था वह पूरी तरह से खुद चुका है। कुरावर में शहरीक्षेत्र में सर्विस रोड तक ढंग का नहीं बनाया गया, जिससे वाहन चालक रोजाना परेशान हो रहे हैं। भोपाल जाने में पूरे रास्ते में ही लोगों को फजीहत होने लगी है।
फोरलेन सड़क पर कंपनी ने लगवाए बोर्ड- सावदान! यहां मिट्टी है
फोरलेन की पटरियों (साइडों) में जहां मिट्टी डली है वहां एहतियात के तौर पर निर्माणएजेंसी ने ही नोटिस बोर्ड लगवा दिएहैं।जिन पर लिखा गया है कि सावधान! यहां मिट्टी है, ध्यान से निकलें। यानि यह समझ से परे है कि जब साइडों को मूरम और बोल्डर के माध्यम से बनाना था तो वहां मिट्टी डाली ही क्यों? कई जगह तो ऐसी है जहां रोड नीचे रह गया और ऊपर खेत हैं वहीं, कई जगह रोड ऊपर है और खेत नीचे।कई जगह पानी एकत्रित हो गया था जिसे पिछले दिनों एजेंसी ने मोटर पप लगाकर खाली करवाया था।
भोपाल में इसी कंपनी का ओव्हरब्रिज दरका था
सिक्सलेन में गड़बड़ी सामने आई
उल्लेखनीय है कि पिछले माह इसी कंपनी द्वारा लालघाटी से मुबारकपुर जंक्शन के बीच बनाए जा रहे सिक्सलेन में गड़बड़ी सामने आई थी। एक ओव्हरब्रिज के दरक जाने से लाखों लोगों की जिंदगी खतरे में आ गई थी। इस पर भोपाल कलेक्टर तरुण कुमार पिथौड़े ने एजेंसी को पुन: ओव्हरब्रिज खोलकर ठीक करने के निर्देश दिए थे।
ट्रैफिक शुरू करने के निर्देश दिए
वहीं, एनएचएआई के रीजनल मैनेजर विवेक जायसवाल ने भी जनता की सुविधा का ध्यान रखते हुए, प्रॉपर ट्रॉयल के बाद ही अब ओव्हरब्रिज पर ट्रैफिक शुरू करने के निर्देश दिए हैं। इससे जनता में भ्रम है कि पूरा प्रोजेक्ट ठीक से बनेगा भी या नहीं?
…और एजेंसी की मुश्किलें : जमीन नहीं मिल पा रही
रि-टेंडर में उलझी निर्माणएजेंसी की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होती। अभी भी पूरे प्रोजेक्ट में जगह-जगह जमीनें अलॉट होना बाकी है।हाल ही में गजट नोटिफिकेशन जारी होने के बाद भूमि-अधिग्रहित की जाने की उम्मीद है।
रोड का काम गति नहीं पकड़ पा रहा
लेकिन करीब सालभर से विवादित जमीनें अधिग्रहित नहीं हो पाई हैं, इससे रोड का काम गति नहीं पकड़ पा रहा है। राजस्व विभाग की ओर से लगातार हो रही लेटलतीफी से एजेंसी को दिक्कतें हो रही है। कईऐसे लोग भी उन्हें परेशान कर रहे हैं और नालियां नहीं बनाने दे रहे जिन्हें पूरा मुआवजा मिल गया।
बारिश के कारण आई दिक्कत
बारिश भी तो देखिए लगातार हो रही है, हम कोशिश कर रहे हैं कि मैंटेनेंस करवाएं। हमारी कोशिश भी यही है कि तय समय में प्रोजेक्ट पूरा हो, लेकिन कहीं-कहीं हमें जमीन ही नहीं मिल पाईहै। जहां साइडों में दिक्कत है उन्हें भी हम ठीक करवाएंगे बस बारिश थम जाए।
-एस. एस. झा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, सीडीएस इंडिया लिमिटेड