राजस्थान की सीमा से लगे बारोल के पास स्थित सुआहेड़ी पंचायत के झरनिया गांव में एक डैम बनाया जा रहा है। इसकी लागत 2 करोड़ से भी ज्यादा बताई जा रही है। डैम के टेंडर लगने के बाद ही ठेकेदार को वर्क आर्डर भी दे दिया गया है। ऐसे में ठेकेदार ने अपना काम शुरू कर दिया। लेकिन जहां तक बात जमीन के मुआवजे की करें, तो अभी तक जिन लोगों की जमीन या मकान डूब में आ रहे हैं उन्हें किसी प्रकार का कोई मुआवजा नहीं दिया गया। विभाग के नियमों को माने तो डैम के निर्माण से पूर्व अधिग्रहण की कार्रवाई की जाती है। लेकिन इस जगह ऐसा नहीं हो रहा है। करीब डेढ़ दर्जन ग्रामीण राजगढ़ पहुंचे जहां उन्होंने अपनी शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि पाल बनाने के साथ ही बनवारी, मांगीलाल, गिरधारी, बद्रीलाल आदि के मकान प्रभावित हो चुके हैं। ऐसे में अब हम खुले आसमान के नीचे रहेंगे महिलाओं और बच्चों को लेकर ग्रामीण चिंतित हैं। लेकिन विभाग ने ऐसी कोई तैयारी अभी तक नहीं की है।
अब ठेकेदार पर जिम्मेदारी
जल संसाधन विभाग द्वारा अब जो डैम बनाए जा रहे हैं। भूमि अधिग्रहण संबंधी प्रकरण बनाने की जिम्मेदारी ठेकेदार पर ही छोड़ दी है, जहां ठेकेदार द्वारा प्रकरण तैयार किए जाएंगे उसका मूल्यांकन विभाग के इंजीनियर करेंगे और जब यह प्रकरण विभाग तक पहुंचेंगे उसके बाद भूमि या डूब में आ रहे मकानों का मुआवजा दिया जाएगा। इस डैम में करीब 58 लाख के मुआवजे की बात कही जा रही है। लेकिन अभी तक मुआवजा वितरण संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
रोकेंगे डैम का काम
ग्रामीणों ने मुआवजा वितरण संबंधित शिकायत करते हुए चेतावनी दी कि यदि उससे पहले डैम का निर्माण होता है, तो वे का काम को रुकवा देंगे। यही नहीं यदि प्रशासन ने इसमें दखल की तो वे अपने आप को ठगा महसूस करते हुए चुनावी प्रक्रिया का बहिष्कार करेंगे।
&कुछ मकान वालों की समस्या है हमारे पास भी आए थे। धारा 4 की कार्रवाई हो चुकी है। और काम का निर्धारित समय रहता है। इसलिए शुरू किया होगा हम देख रहे हैं।
अशोक पांडे, ईई जल संसाधन