चौड़ाई कम होने से पीपल चौराहा से इंदौर नाका तक का रोड अलग ही शेप में लग रहा है। डिवाइडर कम हो जाने से सौंदर्यता में कमी आई है वहीं, फुटपॉथ और नालियां नहीं बनने से प्लॉनिंग, डीपीआर के साथ तैयार रोड का नक्शा ही बिगड़ता नजर आ रहा है। प्रशासन का दावा है कि जैसे भी हो लेकिन रोड बनें, लेकिन प्राइम लोकेशन पर आकर ही फिर से चौड़ाई कम होने से और डिवाइडर संकरे कर देने से फिर रोड विवादों में है। इससे ट्रैफिक उलझने जैसी मूल दिक्कत बरकरार रहेगी। फिलहाल प्रशासन, संबंधित विभाग और निर्माण एजेंसी का फोकस सिर्फ रोड बनाने पर है। अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि नालियां भविष्य में कभी बनेंगी भी या पानी सड़क पर ही बहता रहेगा।
जिन्हें जरूरत से ज्यादा तोड़ा उनका क्या?
पूरे 5.19 किलोमीटर के डिवाइडर वाले रोड पर मामला फिर से वहीं आकर अटक गया है जहां सर्वाधिक दिक्कत ट्रैफिक की है, जिससे वर्तमान में शहर जूझ रहा है। गुना नाका से भोपाल बाइपास ऐसे कई निर्माण पिछले एक साल में तोड़े गए हैं जिनके कारण रोड निर्माण में कोई बाधा नहीं बन रही थी। ऐसे में शहरभर में चर्चा का विषय है कि आखिर उनके साथ न्याय कैसे होगा? लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर किस आधार पर रोड बनाया जा रहा है? बीच में प्रशासन के साथ ही कुछ लोगों द्वारा बदल लिए गए पैरामीटर के विरोध के बाद दोबारा यथावत कार्रवाई की गई थी, लेकिन अब फिर से प्रशासन की सख्ती पटरी से उतर गई है।
वाहन की टक्कर से तिरछा हुआ खंभा
पीपल चौराहे पर लगाए गए पोल को रात में आने वाले वाहनों ने टक्कर मार दी। इससे वह तिरछा हो गया है। बार-बार जाम लगने का कारण भी बीच चौराहे पर लगा खंभा है। जिसे लेकर कोई प्लॉनिंग तमाम विभागों (एमपीईबी, नगर पालिका, पीडब्ल्यूडी, राजस्व) ने नहीं की। महज रोड का काम पूरा करने के मकसद से जैसे-तैसे काम निपटाया जा रहा है।
न्यायालयीन मामलों में जैसे ही फैसला होगा अतिक्रमण हटा दिया जाएगा। जहां तक डिवाइडर कम करने की बात करने की बात है तो पहली प्राथमिकता रोड बनाना है।
-कर्मवीर शर्मा, कलेक्टर, राजगढ़
मूल रोड की अपेक्षा डिवाइडर की चौड़ाई कम होगी। बीते दिनों हुई बैठक में यह निर्णय प्रशासन द्वारा लिया गया है। जैसे भी बनें, लेकिन रोड बनना जरूरी है तो फिलहाल रोड बनाने की तैयारी है, अतिक्रमण हटने के बाद नालियां बनेंगी।
-आकाश दुबे, एसडीओ, पीडब्ल्यूडी, ब्यावरा