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राजगढ़

100 बीघा सरकारी जमीन पर कब्जा!

विस्थापन की राशि जारी होने के बावजूद सरकारी जमीन पर बना लिए मकान, सांठगांठ कर चुप रहा प्रशासन

राजगढ़Aug 27, 2018 / 07:18 am

Ram kailash napit

news

Samalei village, encroachment by the people behind the mosque.

राजगढ़. डूब क्षेत्र में आने वाले पीडि़तों को भले ही शासन ने मुआवजा दे दिया हो, लेकिन समेली गांव की यदि बात करें तो पूरा पैसा लेने के बाद भी गांव के कुछ दबंगों ने थोड़ी बहुत नहीं बल्कि 24 हैक्टेयर लगभग 100 बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया है। न सिर्फ इस जमीन पर उन्होंने मकान बनाए बल्कि खेती के लिए भी जमीन को कब्जे में ले लिया है। यह कारनामा गांव के दबंगों ने किया है। ऐसे में कुछ गरीब और कमजोर लोग अभी भी जमीन तलाश रहे है। जबकि उनकी मांग थी कि उन्हें विस्थापित कर एक कालोनी तैयार करें। जिसमें सभी तरह की सुविधाएं हो, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और शासन की बेशकीमती जमीन कब्जे में चली गई।

करनवास थानान्तर्गत आने वाले समेली गांव में लगभग एक हजार लोग रहते थे और 250 के लगभग मकान थे। जिसमें से 90 प्रतिशत लोगों को जमीन और मकान का मुआवजा दे दिया गया। जो रहे गए वो अभी भी डूब क्षेत्र में आ रहे गांव में रह रहे है। जबकि जिनको मुआवजा मिल गया। उनमें से करीब 50 लोगों ने सरकारी जमीन पर मकान बनाते हुए वहां के बड़े भू क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। ऐसा नहीं है कि इस संबंध में प्रशासन को जानकारी न हो। गांव में हर दिन दौरे करने वाले पटवारी इस पूरे मामले को जानते थे, लेकिन उन्होंने जिला स्तर पर इसकी जानकारी दी या नहीं, लेकिन इस चूक से शासन की जमीन हाथ से निकल रही है।
अब न स्कूल है ना ही आंगनबाड़ी
जिस जगह ग्रामीणों को विस्थापित करते हुए कालोनी बनाई गई। वहां शासन ने हर सुविधा उपलब्ध कराई है, लेकिन यहां पर कुछ नहीं है और हो भी कैसे। क्योंकि यह गांव अभी शासन के रिकार्ड में नहीं है। पहले यहां विस्थापित कर कालोनी बनाने का प्रावधान था, लेकिन बाद में यह सब बदलते हुए जमीन पर कब्जा करा दिया गया और ग्रामीणों से काटी जाने वाली राशि न लेते हुए पूरा भुगतान उनके खातों में डाल दिया गया। ऐसे में अब यहां न कालोनी है और न ही कोई स्कूल या आंगनबाड़ी और तो और जिसका जहां मन आया। वहां मकान बना लिया।
सांठगांठ से हुआ पूरा कारनामा
तत्कालीन एसडीएम ममता खेड़े ने गांव के लिए कालोनी बनाने की बात कही थी, लेकिन उनके स्थानांतरण की सूचना के साथ ही जमीनी स्तर पर काम करने वाले मोहनपुरा डेम के इंजीनियर और राजस्व के पटवारी गांव में सक्रिय हो गए और कुछ गांव के ही लोगों से मिलकर सरकारी जमीन पर कब्जा कराना शुरू कर दिया। सूत्र बताते है कि यह सब मुफ्त में नहीं हुआ है। बल्कि इसके लिए पूरे गांव ने चंदा एकत्रित करके मोटी रकम राजस्व और मोहनपुरा सिंचाई परियोजना तक पहुंचाई है। यही कारण है कि मकान का पूरा पैसा देने के बावजूद वहां आज तक इस कब्जे को रोकने या हटाने का प्रयास नहीं किया गया।
यह मामला मेरे संज्ञान में जैसे ही आया। उसकी जांच कराते हुए खुजनेर नायब तहसीलदार के माध्यम से उसे अतिक्रमण माना गया। सभी को नोटिस जारी किए जा रहे है। अतिक्रमण को सख्ती से हटाने की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही जो कर्मचारी, अधिकारी इसमें लिप्त पाए जाते है उनके खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।
विजेन्द्र रावत, एसडीएम राजगढ़

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