रसोईयों को दिया जाता है एक हजार रुपए मानदेय
स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने वाली रसोईयों को एक हजार रुपए मानदेय दिया जाता है। फिर चाहे बच्चों की संख्या कितनी ही हो। वर्षो से इस मानदेय पर काम करने वाली रसोईयों ने अब अपनी आवाज उठाना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में जिलेभर की रसोईयां शनिवार को राजगढ़ के स्टेडियम में एकत्रित हुई और यहां से एक रैली निकालकर कलेक्ट्रेट पहुंची। लेकिन इस बीच कलेक्ट्रेट के मोड़ पर वे हाईवे पर बैठ गई और हाईवे को पूरी तरह से जाम कर दिया। इस दौरान उन्होंने एक मोटरसाइकिल को भी नहीं जाने दिया।
जैसे ही जाम की सूचना प्रशासन तक पहुंची तुरंत टीआई कैलाश सौलंकी और तहसीलदार मौके पर पहुंचे और जाम लगाए बैठी महिलाओं को समझाने का प्रयास किया। करीब आधा घंटे तक लगाए गए इस जाम के दौरान दोनों तरफ वाहनों की कतारे लग गई थी। जो जाम खुलने के बाद एक-एक निकले। जब महिलाएं कलेक्ट्रेट पहुंची तो यहां भी जमकर नारेबाजी की गई। बाद में समूह की महिलाओं का एक प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर से मिला। बाकी सभी महिलाएं नीचे बैठ गई।
एडीएम को भी लौटानी पड़ी गाड़ी-
जिस समय महिलाओं ने हाईवे जाम कर रखा था। उस समय एडीएम भव्या मित्तल भी वहां से निकल रही थी। लेकिन उन्होंने महिलाओं की आवाज और नारेबाजी सुनकर वाहन से उतरे बिना ही वाहन को वापस घुमाया और दूसरे रास्ते से निकल गई।
क्या है मांगें-
जाम लगाए बैठी महिलाओं ने बताया कि उन्हें एक हजार रुपए के मानदेय पर काम करते-करते दस साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है और इस दौरान कई बार तीन से छह माह में तक मानदेय दिया गया। मंहगाई तेजी से बढ़ रही है। लेकिन मानदेय में कोई वृद्धि नहीं हो रही। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ भी नारेबाजी की और कहा कि जब सबका वेतन बढ़ रहा है तो हमसे सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है। उन्होंने पांच हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय की मांग की।
हमें जैसे ही सूचना मिली। हम मौके पर पहुंच गए और सभी को समझाइस देकर हाईवे से हटने के लिए कहा तो वे हटकर ज्ञापन देने चली गई।
कैलाश सौलंकी, टीआई राजगढ़