यह समय मछलियों के प्रजनन का होता है। ऐसे में 15 अगस्त तक मछली पकडऩे पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। हर साल की तरह इस बार भी जिला प्रशासन द्वारा यह आदेश जारी किया गया। यह जिला नदियों का जिला है। हर जगह मछली पकडऩे का काम जोरों पर चलता है। आदेश पर अमल कितना हो रहा है।
इसकी हकीकत जानने राजगढ़ सीमा में ही आने वाले वार्ड नंबर आठ के अन्तर्गत नेवज नदी के छोर पर गए। जहां वन विभाग की नर्सरी के पास बड़ी संख्या में लोग मछलियों को जाले से पकड़ते नजर आए। इनको किसी भी प्रकार का कोई खौफ नहीं था और हो भी कैसे। जब प्रतिबंध के बावजूद हर दिन मछली बाजार में नदी की मछली कहकर दुकानदार इन्हें बेचते हैं और मछली पालन विभाग द्वारा किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
मामला यही नहीं थमा। जिस जगह लोग मछली पकड़ रहे थे। उससे 200 मीटर आगे रेत का खनन भी जमकर चल रहा था। यहां दो जेसीबी और करीब एक दर्जन ट्रैक्टर रेत भरने में लगे हुए थे। यदि मधेपुरा गांव की तरफ जाते हैं तो सड़क और नदी के बीच में ही भारी मात्रा में रेत का खनन कर स्टाक किया जा रहा है।
क्या इसे यह माना जाए कि खनिज विभाग को इसकी कोई जानकारी नहीं है या फिर यूं कहे कि खुद खनिज विभाग ही यह खुदाई मिलीभगत से करा रहा है। तभी तो कई बार सूचना होने के बाद भी यहां कार्रवाई नहीं की जाती। जबकि अब तो एक अक्टूबर तक के लिए रेत के खनन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया।
सिर्फ राजगढ़ में नहीं है यह स्थिति
जिला मुख्यालय जहां राजस्व की टीम के साथ ही खनिज विभाग और मत्स्य विभाग दोनों के मुख्यालय है। जब यहां इस प्रतिबंध पर अमल नहीं हो रहा तो बाकी जगह की स्थिति और भी बेकार होगी। फिर चाहे बात कालीसिंध नदी की हो या पार्वती। यहां भी मछली पकडऩा और रेत का खनन भारी मात्रा में होता है।
हमें सूचना नहीं है, लेकिन यदि वहां रेत का खनन हो रहा है तो अभी टीम पहुंचाते है और कार्रवाई करते है।
– मुमताज खान, खनिज अधिकारी राजगढ़
प्रतिबंध लगा है। मैं अभी इंस्पेक्टर को भेजता हूं जहां मछली पकडऩे की जानकारी दी है।
– सीके भिसे, जिला मत्स्य अधिकारी राजगढ़