ऐसे में ग्रामीण अपना विरोध गांव के ऊंचे और बड़े पेड़ों पर काले झंडे बांधकर जता रहे है। गांव की स्थिति को देखे तो यहां 127 मकान बताए गए। जिनमें 143 परिवार रह रहे है। 722 लोग यहां थे। जिनमें से 227 को पात्र माना गया। पहले चरण में 170 लोगों की सूची जारी की गई। जिनमें से 140 को मुआवजा दिया, लेकिन इनमें से भी कुछ को अधूरा भुगतान हुआ है।
ग्रामीणों का आरोप
जबकि दूसरी सूची में 49 लोगों को शामिल किया गया। इनमें भी 29 को ही भुगतान हुआ है। ग्रामीणों का आरोप है कि जब तक दलालों के माध्यम से भुगतान करने वाली टीम से संपर्क नहीं होता। तब तक कागज जल संसाधन और राजस्व विभाग के बीच झूलते रहते है।
ऐसे में गांव के लोगों ने डैम का लोकार्पण करने आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से अपील की कि वे हमारा मुआवजा शीघ्र डलवाए। यदि ऐसा नहीं होता तब तक भले ही पानी में डूब जाए न तो गांव छोड़ेंगे और न ही काले झंडे उतारेंगे। विरोध जताने में गांव के पुरुष ही नहीं महिला व वृद्ध आदि सभी शामिल थे।
ऐसे करते हैं ग्रामीणों को परेशान
ऐसे कई किसान है जो अपने भुगतान के लिए चक्कर लगाते रहते है, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिलता। उदाहरण के लिए समेली गांव में रहने वाले लक्ष्मीनारायण पिता गंगाधर साहू का १५ लाख का मुआवजा तय हुआ, लेकिन इसके बदले दलाल के बदले एक लाख का आफर आया।
जब यह पैसा नहीं दिया तो मुआवजा घटाकर दस लाख कर दिया। एसडीएम को मामले की शिकायत की। जांच के बाद वापस मुआवजा लगभग १५-१६ लाख के बीच बना, लेकिन राजस्व विभाग ने मोहनपुरा परियोजना से इसका अभिमत मांगा। दो माह बीत चुके है। बावजूद इसके अभी तक कोई अभिमत नहीं दिया गया।
गांव खाली करने की चेतावनी
बारिश से पहले डूब में आने वाले ग्रामीणों को मोहनपुरा संचालक द्वारा एक सूचना जारी की गई है। जिसमें स्पष्ट कहा गया कि जो गांव और घर डूब में आ रहे उसमें रहने वाले लोग उसे खाली कर दे। इस बार डैम को भरा जाएगा, लेकिन ग्रामीणों का कहना है जब तक पैसा नहीं मिलेगा। तब तक हम गांव नहीं छोड़ेंगे।
22 गांवों का अवार्ड तक नहीं पारित
जिस डेम का लोकार्पण करने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आ रहे है। उस डैम में ५५ गांव डूब क्षेत्र में बताए जा रहे है। जिसमें से २८ गांव आबादी वाले है। डूब में जाने वाले गांव और जमीन जिनका अवार्ड जारी हुआ है। उनमें बांसखेड़ी, मांजरीखो, राजलीबे, कराडिय़ा, नलखेड़ा, गोपालपुरा, लक्ष्मणपुरा, बानपुर, चौकी, मांडाखेड़ा, लाडऩपुर, मोहनपुरा, टांडी, नाईहेड़ा, उदयपुरिया, कोलूखेड़ा, साहपुरिया, कलालपुरा, अभयपुरा, बख्तावरपुरा, सूरजपुरा, रायपुरियाघटा, करनवास, झूमका, बाईहेड़ा, डूंगरपुर, नेसबोरदा, बलवीरपुरा, घोगडिय़ाजा, बीरमपुरा, समेली शामिल है। जबकि करनवास, आशापुरा, रघुनाथपुरा, चैनपुरिया, केशरियाबे, हीरापुरा, पड़ोनिया, किशनपुरिया, भोपालपुरा, शिकारपुर, माथनिया, लगदरिया, परसूलिया, सुराजखेड़ी, पनाली, वख्तावरपुरा, किशनपुरिया, शाहपुरा-बया, संजयग्राम, बामलाबे, देहरीकराड़ ऐसे गांव है जिनका अभी तक अवार्ड भी पारित नहीं हुआ है। ऐसे में इन्हें मुआवजा कब मिलेगा। इसकी सीमा कैसे तय होगी।
कइयों को कोर्ट भेजा, लेकिन वहां नहीं पहुंचे प्रकरण
तत्कालीन एडीएम राजेश जैन के समय ऐसे कई प्रकरण सामने आए। जिसमें किसानों के नाम आने के बावजूद छोटी-छोटी आपत्तियों में उन्हे भटकाते रहे। बाद में रिफरेंस का हवाला देते हुए उन्हें कोर्ट भेजा, लेकिन कोर्ट में उनके प्रकरण पहुंचे ही नहीं।
जो लोग पात्र है। उनके भुगतान की प्रक्रिया सतत जारी है, लेकिन कुछ ऐसे भी है जो अपात्र है, लेकिन उनके द्वारा भी मुआवजा मांगा जा रहा है, जो गलत है। हमने टीम गांव में भेजी है। वह वहां बात करने गए है।
ममता खेड़े, एसडीएम, राजगढ़