वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की देखरेख के साथ ही उन्हें तमाम तरह के टीकाकरण और शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाने के उद्देश्य गर्भवती महिलाओं का पंजीयन कराया जा रहा है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग का जो पोर्टल है उसमें जब तक किसी भी गर्भवती की आयु 18 साल पूरी ना हो तब तक वह उसकी एंट्री नहीं करता और यह एंट्री भी समग्र आईडी के माध्यम से की जाती है। हाल ही में देखने में आया है कि जिले को 51000 गर्भवती महिलाओं को तलाशने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य के अनुरूप स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्रवाई की जा रही है। लेकिन देखने में आ रहा है कि अधिकांश गर्भवती महिलाओं की समग्र आईडी चेक की जा रही है तो उनकी आयु 18 साल पूरी ही नहीं हो रही है। यह बात अलग है कि उनके वोटर आईडी और आधार कार्ड उन्हें बालिग दर्शा रहे हैं। लेकिन बचपन में ही तैयार होने वाली समग्र आईडी में इनकी उम्र 18 साल से कम है। कुछ तो ऐसी महिलाएं हैं जो 19 साल से पहले ही तीन बच्चों की मां तक बन चुकी है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनका विवाह कितनी उम्र में हुआ होगा। इतना ही नहीं 19 साल की उम्र में ही नसबंदी भी करा ली है।
हर साल 2000 से ज्यादा नाबालिग बन जाती है माँ
एक आंकड़े के अनुसार यदि पूर्व में हुए सर्वे को माने तो लगभग 2000 महिलाएं अपनी विवाह की उम्र से पहले ही मां बन जाती हैं। यही कारण है कि जब उन्हें शासन की विभिन्न तरह की योजनाओं का लाभ मिलना होता है, वह नहीं दिया जाता। क्योंकि यह पूरी योजनाओं का लाभ अब ऑनलाइन पोर्टल पर महिलाओं के गर्भ धारण के साथ ही शुरू हो जाता है। जिसमें स्वास्थ्य विभाग की टीको के अलावा बच्चों के जन्म के बाद महिलाओं को मिलने वाली प्रसूति सहायता, जननी सुरक्षा सहायता और अन्य तरह की सुविधाएं आदि शामिल होती हैं। लेकिन जब पोर्टल पर गर्भवती महिला की एंट्री ही नजर नहीं आएगी तो फिर उन्हें यह सब लाभ कैसे मिलेगा।
एक नजर में यह सर्वे –
– जिले मे 15-19 वर्ष की विवाहित महिलाएं तो या तो गर्भवती हैं या मां बन गई हैं 5.4 प्रतिशत हैं।
– वर्तमान मे जिन महिलाओं की उम्र 15-19 वर्ष है उनकी शादी 18 बर्ष के पूर्व हुई यह दर 46 प्रतिशत है।
नोट- आंकड़े राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 5 – 2019-21 के अनुसार। वर्जन। यह बात सही है कि अभी जो पंजीयन चल रहा है उसमें कई ऐसी गर्भवती महिलाएं हैं जिनकी उम्र 18 साल नहीं हुई है। इसके कारण उनकी एंट्री ही पोर्टल पर नहीं कर पा रहे हैं। नाबालिक के विवाह करने के बाद कई तरह की योजनाओं का लाभ नहीं मिलता। ग्रामीण अंचल में हम स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। लेकिन कुछ लोग समझने को तैयार नहीं है, जिसका नतीजा यह है कि कच्ची उम्र में बच्चियां मां बन जाती है, जिसके कारण कमजोरी और तमाम तरह की बीमारियां उन्हें घेर लेती है। उनके बच्चे भी कमजोर पैदा होते हैं।
दीपक पिप्पल सीएमएचओ राजगढ़
राजगढ़ में अभी भी 6 प्रतिशत से भी ज्यादा ऐसी महिलाएं होती हैं जो 18 साल तक मां बन जाती हैं जो गलत है। जबकि 15 से 19 साल का एक बड़ा आंकड़ा ऐसा है जिसमें 18 साल से पूर्व विवाह करने वालों की संख्या 46 प्रतिशत तक है।
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