दरअसल, अब प्रोफेशनल को छोड़कर बच्चों की रुचि प्लेन बीए, बीएससी और बीकॉम की ओर बढ़ी है। पिछले साल की अपेक्षा इस बार के 12वीं के रिजल्ट में भी औसत सुधार आया है। ऐसे में पारंपरिक कोर्स में जनरल और ओबीसी में 70 फीसदी से नीचे किसी विषय का कटऑफ नहीं है। 60 प्रतिशत अंक वाले कई छात्र कॉलेज लेवल काउंसलिंग में भी प्रवेश से वंचित हैं। अभी सीएलसी (कॉलेज लेवल काउंसलिंग) राउंट का रिजल्ट आना बाकी है।
आधे हुए भोपाल, इंदौर जाने वाले छात्र
एमबीए (मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रिेशन), बीबीए (बेचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन), बीई (बेचलर ऑफ इंजीनियरिंग) सहित अन्य प्रोफेशनल कोर्स के लिए इंदौर, भोपाल जाने वाले छात्रों की संख्या में भी कटौती आई है। छात्रों की संख्या आधी हो गई है।
हालांकि इसमें बच्चों की रुचि को अहम माना जा रहा है, विषय विशेषज्ञों की मानें तो अब बच्चों की रुचि सिविल सर्विसेस, आइपीएस, आइएएस सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बढ़ी हैं। बीई, एमबीए सहित अन्य प्रोफेशनल कोसे के बाद बच्चों को पीजी करना होती है, पीजी में एडमिशन के लिए अतिरिक्त खर्च कर पाना हर छात्र के बस की नहीं होती। इसके बाद भी योग्यता के हिसाब से जॉब नहीं मिल पाती। बच्चे और उनके पैरेंट्स हर स्तर पर प्रयास करते हैं,लेकिन उसके बेहतर परिणाम नहीं आ पाते। ऐसे में अब बच्चे पांरपरिक कोर्स (बीए, बीएससी, बीकॉम) कर सीधे सविल सर्विसेस, बैंकिंग और रेलवे से जुडऩा चाहते हैंै।
ये रहा कट-आॅफ
बीएससी 77, बीए में 79 कट ऑफ
कोर्स एससी एसटी ओबीसी जनरल
बीए 68.2 42 72.39 79.23
बीएससी मैथ्स 52.6 53.6 75.6 77.4
बीएससी बॉयो. 46 64.2 72.2 78.2
बीकॉम निल निल 60.6 70.6
कॉलेज में कुल सीट और शेष सीटों की सूची
कोर्स कुल सीट शेष सीट सीएलसी में आवेदन
बीए 350 88 639
बीएससी बॉयो. 75 21 135
मैथ्स 75 27 74
बीकॅाम 80 30 88
(पोर्टल पर इंफास्ट्रक्चर के हिसाब से अलॉट सीटों की संख्या)
रिजल्ट में कॉफी बढ़ोतरी इस बार हुई है। बढ़ते हुए रिजल्ट के कारण प्रवेश लेने बच्चों में प्रतिस्पर्धा है। वैसे बच्चों में प्रोफेशनल की बजाए पारंपरिक कोर्स के प्रति रुचि बढ़ी है। हमे शासन से 10 फीसदी सीटें और बढ़ाने की मांग की है।
– डॉ. वीके जैन, प्राचार्य, पीजी कॉलेज, ब्यावरा
कुकुरमुत्तों की तरह खुल चुके निजी कॉलेज और उनके प्रोफेशनल कोर्स ने युवाओं के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। होड़ में बच्चे बड़े शहरों मे एडमिशन ले लेते हैं,लेकिन उनकी योग्यता के हिसाब से उन्हें जॉब नहीं मिल पाता। इसीलिए पारंपरिक कोर्सेस में प्रवेश लेकर बच्चे अब अकेडमिक तैयारी करना चाहते हैं।
– प्रो. केजी जोशी, वरिष्ठ शिक्षाविद, रिटायर्ड प्रोफेसर, ब्यावरा