दरअसल, जीएसटी प्रावधानों के अनुसार, 10 करोड़ से अधिक के टर्नओवर वाले करदाताओं के लिए ई-इनवॉइस बनवाना, लेना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके तहत यदि आप (व्यापारी, फर्म मालिक) सप्लायर से माल लेते हैं तो ऑनलाइन बिल जरूरी होगा। यदि वह बिल नहीं देता है तो इसके लिए उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं मिलेगा। साथ ही यदि सप्लायर बिना ई-इनवॉइस के मामल बेचता हुआ पाया गया तो यह माना जायेगा की उसने टैक्स चोरी के मकसद से यह बिल दिया है। उस हिसाब से जीएसटी विभाग उन पर कार्रवाई करेगा। इसके लिए नियम बनाया गया है कि संबंधित फर्म का टर्नओवर वित्तीय वर्ष-2017-18 या उसके बाद किसी भी वित्तीय वर्ष में 10 करोड़ से ज्यादा हुआ है तो यह नियम उनके लिए लागू होगा। यानि मान लिया जाए कि टर्नओवर 2018-19 में 14 करोड़ था लेकिन 2019-20 और 21 में 8 करोड़ ही था तो भी 1 अक्टूबर के बाद आपको ई-इन्वॉइस जरूर बनवाना पड़ेगा। इसके लिए संबंधित फर्म को अपने सॉफ्टवेयर को अपडेट कराना होगा।
ये बदलाब भी… रिफंड टैक्स क्लेम करने की अविध दो साल रहेगी
नई व्यवस्था के तहत व्यापारियों को अब अपना रिफंड क्लेम करने के लिए दो साल का समय मिलेगा, पहले यह तय नहीं था कि कितने दिन का समय इसमें छूट के तौर पर दिया गया है। अब जीएसटी विभाग ने सुनिश्चित किया है कि टैक्स जमा करने की समयावधि के बाद से दो साल के भीतर रिफं क्लेम कर दिया जाएगा। बता दें कि रिफंड क्लेम करने की स्थिति उस परिस्थिति में बनती है जब कोई व्यापारी ज्यादा या गलती से अधिक टैक्स जमा कर दे, इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर (यानि रॉ मटेरियल 18 प्रतिशत टैक्स चुराकर प्रोडक्ट पांच प्रतिशत टैक्स में बेच रहा हो तो शेष टैक्स क्लेम हो सकता है) के तहत और यदि माल देश के बाहर भेजा जा रहा है तो ऐसी स्थिति में भी टैक्स क्लेम करने की पात्रता संबंधित फर्म और व्यापारी की रहेगी।
ई-इनवॉइस अनिवार्य
&कुछ बदलाव किए गए हैं, ये लागू होंगे। इसमें ई-इनवॉइस जरूरी होगा, साथ ही टैक्स क्लेम करने की समयावधि दो साल फिक्स की गई है। संबंधित फर्म इसे क्लेम कर सकते हैं। सभी ई-इनवॉइस जरूर बनवाना शुरू कर दें।
-सत्येंद्र चौरसिया, असिस्टेंट कमिश्नर, जीएसटी विभाग
नए प्रावधान लागू होंगे
1 अक्टूबर से जीएसटी के नए प्रोव्हिजन लागू होंगे। इसके तहत संबंधित व्यापारी इस दायरे में आएंगे। यदि सप्लायर, बेचने वाला ई-इनवॉइस नहीं देता है तो यह टैक्स चोरी के दायरे में आएगा। खरीददार को भी जिम्मेदारी से यह इनवॉइस लेना होगा।
-अशोक कुमार दुबे, वरिष्ठ कर सलाहकार, ब्यावरा