जानकारी के अनुसार झंझाड़पुर गांव में रहने वाले जगन्नाथसिंह तंवर के घर उसकी सास पिछले कई सालों से रह रही थी। वह खलिहाल में बनी टापरी में ही सोया करती थी। शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात खलिहाल में रखी घास के साथ ही किसी ने टापरी को आग के हवाले कर दिया। अचानक उठ रही लपटों को देख ग्रामीण मौके पर पहुंचे। जहां वृद्धा की जलने से चिल्लाने की आवाज आते आते थम गई।
ग्रामीणों ने पानी से काफी देर तक आग को बुझाने का प्रयास किया। लेकिन जब आग नहीं बुझी, तो उन्होंने राजगढ़ फायर बिग्रेड को कॉल किया। रात करीब साढ़े तीन बजे फायर बिग्रेड गांव पहुंची। लेकिन तब तक वृद्धा धन्नीबाई दम तोड़ चुकी थी।
क्या है आगजनी और झगड़े का राज धन्नीबाई का कोई पुत्र नहीं है। ऐसे में वह अपनी एकलौती बेटी के साथ उसके ससुराल झंझाड़पुर में ही रहती थी। पति की मौत हो चुकी थी और वह भी वृद्ध होने के कारण अपने गांव सेमलाबे नहीं लौटी और अपने जमाई जगन्नाथ के घर ही रहती थी। जगन्नाथ ने पुलिस को बताया कि अनौखबाई नाम की मेरी एक बेटी है, जिसकी शादी पहले काशी गांव में हुई थी। बाद में नातरा के तहत उसका विवाह कैलाश तंवर निवासी सांगी का पुरा में दो माह पहले किया गया था। लेकिन वह अपने ससुराल से पता नहीं कहा चली गई।
जिसके बाद से कैलाश और उसके परिवार वाले झगड़े की मांग करते हुए झांझड़पुर में लगातार आगजनी कर रहे हैं। जिसकी हमने तीन बार शिकायत दर्ज भी कराई। लेकिन उन्हें नहीं पकड़ा गया। आखिरकार उन्होंने ही इस वारदात को अंजाम दिया।
क्या है झगड़ा प्रथा जिले में तेजी से पनप रही झगड़ा प्रथा को यदि सीधे शब्दों में समझे, तो जब भी कोई विवाह की रस्म तोड़ता है। तो लडक़ी वाले झगड़े के रुप में लकड़ी पक्ष से पंचायत में तय राशि की मांग करते हैं। झगड़े की राशि ज्यादा हो और समाजजन समझौते के लिए दबाव बनाए, इसके लिए लडक़े पक्ष के लोग लकड़ी पक्ष के गांव में आगजनी, पेड़ों की कटाई, फसलों को नुकसान और कुंए के पानी को खराब करने जैसे कृत्यों को अंजाम देते हैं।
इनका कहना है शिकायत के आधार पर जांच शुरु की हैं। फरियादी के बयान लेकर हर पक्ष पर जांच की जा रही हैं। पीएम रिपोर्ट अभी तक नहीं आई हैं। मुकेश गौड़, टीआई कोतवाली राजगढ़