यही कारण है कि भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही राजनैतिक दल इन सिंचाई परियोजनाओं को भुनाने का काम कर रहे है। किसी भी सभा की बात हो या फिर उनकी उपलब्धि के लिए तैयार की गई पुस्तक या फिर अन्य कागजात। इनमें सिंचाई परियोजनाओं को सब अपना-अपना बताते है और जनता को विकास की छबि दिखाने के लिए खुद की देन कहते है।
पिछले लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से चार घंटे पूर्व मोहनपुरा सिंचाई परियोजना का भूमिपूजन किया गया था। वहीं दोनों परियोजना की स्वीकृति वर्ष 2014 के पहले मिली थी। लेकिन चुनाव के बाद एक बार फिर विवि विधान से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की मौजूदगी में भूमिपूजन किया गया और इसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। जबकि कुंडालिया डैम का लोकार्पण तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने किया था।
किसी योजना की स्वीकृति देना यह मतलब नहीं है कि उसे उन्होंने बनवाया। हमारी सरकार आने के साथ ही निर्धारित समय से पहले दोनों डैमों का निर्माण करा दिया गया था। भाजपा सरकार में कई बड़े काम हुए है। उन्हीं में से कुंडालिया और मोहनपुरा है।
रोडमल नागर, भाजपा प्रत्याशी राजगढ़
केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी। तब दोनों ही सिंचाई परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई थी और निर्माण भी शुरू हो गया था। इतनी बड़ी परियोजनाओं को एक साथ एक जिले में स्वीकृत कराना यह पूर्व सांसद की मेहनत का नतीजा है। कोई भी सरकार होती काम पूरा होता।
मोना सुस्तानी, कांग्रेस प्रत्याशी राजगढ़
बसपा प्रत्याशी को आयोग का नोटिस
जवाब देने के लिए दिया समय
राजगढ़. नामांकन प्रक्रिया के अंतिम दिन बसपा प्रत्याशी निशा त्रिपाठी ने एक रैली निकालकर अपना नामांकन जमा किया। जब यह रैली खत्म हुई तो रैली में शामिल लोगों को पैसे दिए गए। यह मामला कैमरे में कैद हो गया। जिसको लेकर पत्रिका ने खबर का प्रकाशन किया। निर्वाचन आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए बसपा प्रत्याशी से इस पूरे मामले में जवाब देने के लिए नोटिस भेजा है।