दिल्ली की कोर्ट से आए लोकल कमिश्नर सचिन नाहर के साथ लीगल एडवाइजर नम्रता जैन, विजय सोनी, विश्वजीत अहिरवार और अंकुर तिवारी सहित अन्य आए। इन्होंने संबंधित फैक्ट्री का स्टॉक खंगाला जहां तकरीबन दो से तीन हजार पाइप मिले, करीब 25 से 30 लाख रुपए का स्टॉक मिला। प्लास्टो का लेबल लगे पाइप के साथ ही फैक्ट्री में घमेला (तगाड़ी) भी प्लास्टो की ही बनाई जा रही थी। जिसे टीम ने सील कर दिया। पंकज प्लास्टो के अपना पक्ष रखने के लिए 24 फरवरी की तारीख मिली है। बता दें कि ट्रेडमार्क एक्ट की धारा-१३६ के तहत किसी भी सामान को दूसरे का नाम बताकर बेचा नहीं जा सकता। यदि ऐसा करता हुआ कोई पाया गाय तो उस पर धारा-39 के नियम 1 और 2 के अनुसार कार्रवाई होती है। इसी अनुसार इसमें एप्लीकेशन दिल्ली में लगाई गई थी। जिसमें रजिस्टटर्ड ट्रेडमार्क का दुरुपयोग होना पाया गया, इसी आधार पर कार्रवाई की गई।
हमें मार्केट से फीडबैक मिला था इसी आधार पर स्टे लिया है। कंपनी की सीजिंग के बाद कोर्ट में फाइल करेंगे। इसके बाद नियमानुसार जुर्माना और कम्प्लसेट लगाया जाएगा।
-सचिन नाहर, लोकल कमिश्नर (सीनियर एडव्होकेट), डिस्ट्रिक कोर्ट, नई दिल्ली
कोर्ट का स्टे ऑर्डर था
मामले में कोर्ट से स्टे ऑर्डर था, दिल्ली के लोकल कमिश्नर के साथ टीम आई थी। जिसमें ट्रेडमार्क संबंधी कुछ मामला था इसी आधार पर हमने लोकल पुलिस को साथ भेजा था।
-राजपालसिंह राठौर, टीआई, ब्यावरा
हमारे ब्रांड का दुरुपयोग किया गया
हमारे नाम की ब्रांडिंग का दुरुपयोग किया गया, उसी तरह के पाइप सस्ते दामों में मार्केट में बेचे जा रहे थे, जो सीधा नियमों का उल्लंखन है। हमारे ग्राहक, डीलर्स परेशान हो रहे थे, रेट में मोटा अंतर होने के कारण दिक्कत आ रही थी इसीलिए हमने कोर्ट का सहारा लिया।
-श्रवण कुमार श्रीवास्तव, एरिया सेल्स मैनेजर, आर. सी. प्लास्टो, नागपुर
ऐसा कोई इरादा नहीं था
प्लास्टो के नाम से फ्रॉड करने का हमारा कोई ईरादा नहीं था, हमने इसी नाम से जीएसटी नंबर भी ले रखा है। उस दौरान कोई बाधा नहीं आई तो हमने ध्यान नहीं दिया। हमें ऐसा कोई नॉलेज नहीं था, यदि ऐसी कोई प्रॉब्लम है तो हम नाम हटा लेंगे।
-आशीष गुप्ता, मैनेजर, पंकज प्लास्टो, ब्यावरा