गंदे नाले में तब्दील हो चुकी अजनार नदी को सुधारने के तमाम प्रयास नाकाफी हैं। जिसे लेकर भागीरथी प्रयास निकाय द्वारा नहीं किए जा रहे हैं। न ही नपा प्रबंधन इस पर जमीनी स्तर पर काम कर पा रही। इसलिए ब्यावरा नगर पालिका की रैकिंग तो दूर नदी की सफाई होने का कहना भी बेमानी होगा। यानि रैंकिंग में किसी तरह की बढ़ोतरी नदी के कारण नहीं हो पा रही है। हर दिन उसकी स्थिति दयनीय होती जा रही है। मातामंड क्षेत्र से निकलकर आने वाले गंदे नाले सहित अन्य नालियों के कारण और भी लगातार स्थिति नदी की खराब होती जा रही है। ऐेसी ही स्थितियां अन्य निकायों की है जिनमें सारंगपुर की कालीसींध भी शामिल है, जिसकी सफाई की स्थिति बेहद खराब है।
गीला-सूखा कचरे का कंसेप्ट नहीं समझा पा रहे नपाकर्मी
स्वच्छ सर्वेक्षण में बेहतर रैंकिंग इसलिए भी नहीं मिल पा रही क्योंकि सफाईकर्मी गीले और सूखे कचरे में फर्क नहीं कर पा रहे हैं और इसका कंसेप्ट लोगों को नहीं समझा पा रहे। इसी कारण स्थिति बिगड़ रही है। वाहन में कचरा डालने वाले आम लोग भी गीले-सूखे कचरे का पालन नहीं कर पा रहे हैं, न ही कोई उनसे पालन करवा पा रहा। कुल मिलाकर जमीनी स्तर पर ज्यादा काम नहीं हो पाने के कारण स्वच्छता में बेहतर रैंकिंग पाना जिले की निकायों के लिए सपना ही रह गया है।
ब्यावरा नपा कॉम्प्लेक्स को चौपाटी बनाने वाली बीती नगर परिषद के सपने दूर के ही नजर आते हैं। जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हो पाया है। इंदौर, भोपाल जैसे नंबर-वन पर आने के सपने देखने वाली परिषद उनके जैसे काम कर पाने से कोसों दूर है। न तो प्रशासनिक स्तर पर उस लेवल के प्रयास किए जा रहे हैं न ही लोगों की आदत में सफाई आ पा रही है। यही कारण है कि रैकिंग सहित स्वच्छता में ब्यावरा और अन्य परिषदों के बुरे हाल हैं। महज जागरूता रैली, बैनर-पोस्टर, सेमिनार तक ही स्वच्छता सिमट कर रह गई है।
हर दिन मॉनीटरिंग कर रहे
सीएमओ और नपा प्रबंधन से हम हर दिन फॉलोअप ले रहे हैं, हर दिन की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। सफाई पर हमारा पूरा फोकस है। जनता के सहयोग से हम और बेहतर करेंगे और अनदेखी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई भी हम करेंगे।
-नीरज कुमार सिंह, कलेक्टर, राजगढ़