नरसिंहगढ़ के आगे श्यामपुर, कुरावर में भी अभी कई भूमि-अधिग्रहण के मामले अटके हुए हैं। इनमें कहीं रेलवे द्वारा राशि अलॉट कर दी गई है तो कहीं प्रशासन ने मुआवजा पारित कर दिया। बावजूद इसके कई मामले अभी भी अटके हैं। वहीं, रेलवे के बजट में मिलने वाली राशि का भी उपयोग इन स्थानीय प्रकरणों में नहीं हुआ, इसीलिए पिछली बार के बजट की राशि लेप्स हो गई थी।
देश के सबसे बड़े विभाग इंडियन रेलवे में किसी भी काम की प्रक्रिया में लेटलतीफी इस कदर है कि तमाम प्रकार की खानापूर्ति और प्रक्रिया हो जाने के बावजूद काम को गति नहीं मिल पाती। करीब तीन से चार साल पहले मक्सी- विजयपुर इलेक्ट्रिफिकेशन कार्य के बाद मोहनपुरा डैम से लगी दूधी पुल डायवर्ट होना है। करीब सात से आठ किमी के डायवर्शन के बाद नए सिरे से बनने वाला ब्रिज ऊपर उठेगा, इसके लिए जिला प्रशासन ने 190 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए हैं, बावजूद इसके काम शुरू नहीं हो पाया।
-1365 करोड़ से बनना है रामगंजमंडी-भोपाल लाइन।
-700 करोड़ रुपए का प्रपोजल बना था, जिसे बाद में बढ़ाया।
-200 करोड़ वर्ष-2016 में मिले थे।
-200 करोड़ इस बार के बजट में मिले।
-झालावाड़ तक लाइन चालू हुई।
-मप्र में रेलवे के नाम पर महज भू-अर्जन।
-260 किमी का है प्रोजेक्ट।
(नोट :रेलवे से प्राप्त जानकारी के अनुसार)