दरअसल, आरटीओ की टीम ने मंथन स्कूल की बस के चालक को मोबाइल पर बात करते पकड़ा। कार्रवाई करते हुए उसका लाइसेंस हाथों हाथ निरस्त कर दिया गया और परमिट नहीं होने पर फिटनेस भी निरस्त कर दिया। इसके अलावा स्वामी विवेकानंद स्कूल की बस में भी दस्तावेज में कमी होने से उसका भी फिटनेस निरस्त किया गया।
सर्च करने पर सामने आया कि उक्त बस किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड है। इसके अलावा अन्य निजी स्कूलों के करीब चार मैजिक वाहन भी टीम ने पकड़े। एक बिना रजिस्ट्रेशन का था जो अगस्त-2016 से बिना कागजात के चल रहा था। बाकी अन्य में भी किसी में परमिट नहीं थे तो किसी में कागजी खानापूर्ति कम मिली। ऐसे में तत्काल प्रभाव से उनके फिटनेस निरस्त कर अन्य कार्रवाई की गई। टीम के राजदेव शर्मा ने बताया कि वाहनों में स्कूल वाहनों में अतिरिक्त सीटें तक लगा ली।
इमरजेंसी विंडो वगैरह कुछ भी नहीं मिले। सीसीटीवी तो दूर वे गाड़ी में बैठक के लिए बनाए नियम तक फॉलो नहीं कर पा रहे। अभी भी दौड़ रही अन्य राज्यों की खटारा बसें
इतनी सख्ती और वाहनों की धरपकड़ के बावजूद शहर के नामी स्कूलों में औने-पौने दाम में खरीदी गई अन्य राज्यों की खटारा बसें धड़ल्ले से दौड़ रही हैं। कुछ तो ऐसी बसें हैं जिनका पंजीयन तक एमपी का नहीं हो पाया। यदि नियमानुसार तमाम बसों की जांच तो हो तो पूरा चिट्ठा सामने आए। बता दें कि शहर में कई ऐसे स्कूल हैं जहां बड़ी संख्या में बाहरी राज्यों से खरीदकर लाई बसें रंग-रोगन कर तैनात कर दी गई हैं।
बिना परमिट, रजिस्ट्रेशन के वाहनों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। राजगढ़, ब्यावरा के साथ ही अन्य जगह भी हमारी कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। फिलहाल दो बसों के फिटनेस निरस्त कर दिए और चार मैजिक वाहन जब्त किएहैं।
– एचके सिंह, आरटीओ, राजगढ़