पैसेंजर गाडिय़ों में भी रिजर्वेशन व्यवस्था लागू करने के पीछे रेलवे का तर्क है कि ट्रेन एक असीमित क्षमता वाला वाहन है। जहां सर्वाधिक यात्री बैठ सकते हैं। पश्चिम मध्य रेलवे के सीनियर पीआरओ जितेंद्र कुमार जयंत बताते हैं कि बसों में एक सीमित मात्रा में ही यात्रियों को बैठाया जा सकता है लेकिन ट्रेनों में अनिंयत्रित तरीके से लोग बैठते हैं, उन्हें रोक पाना, सभाल पाना मुश्किल होता है, इससे कोरोना प्रोटोकॉल टूटता है, हर दिन दूरियां टूटती हैं। जबकि हकीकत यह है कि वर्तमान में चल रही इंटरसिटी, साबरमती एक्सप्रेस सहित अन्य तमाम गाडिय़ों में भी दूरियां टूट रही हैं। लोग मजबूरन स्लीपर कोच और चेयर कार में बैठकर भीड़ में एक साथ सफर करते हैं।
कम ही यात्री पहुंच रहे हैं
चंडीगढ़ एक्सप्रेस जल्दी आ गई थी, यात्रियों की सहूलियत के हिसाब से अपने तय समय पर आधे घंटे बाद ही रवाना हुई। हालांकि यात्री बेहद कम ही आ रहे हैं। बाकी की गाडिय़ों के चलने का फिलहाल कोई संदेश रेेलवे की ओर से नहीं मिल पाया है।
-मुकेश मीना, स्टेशन मास्टर, ब्यावरा