दरअसल, महंगा बीज बोकर बारिश के इतंजार में रुके किसानों को इस बात की चिंता सता रही है कि यदि आगामी दिनों में सोयाबीन सहित अन्य उपज को पानी नहीं मिल पाया तो वह खराब हो सकती है। हर बार दो से तीन बार बोवनी करना पड़ती है इसके बाद ही उपज सही से अंकुरित हो पाती है लेकिन इस बार शुरुआत में हुई अच्छी औसत बारिश के कारण फसल लहलहाने लगी लेकिन अब उसे पानी की सख्त जरूरत है। कई जगह पहले बोली गई उपज को ज्यादा खतरा इससे बना हुआ है। वहीं, बाद वाली सोयाबीन व अन्य उपज जो कि हाल ही में अंकुरित हुई है वह भी तीन से चार दिन ही दम मार पाएगी। ऐसे में किसानों को बारिश की चिंता सता रही है।
सूखे में बोई गई सोयाबीन को ज्यादा खतरा
जून के आखिरी सप्ताह आषाढ़ी की शुरुआत में ही समय के हिसाब सूखे में ही की गई उपज पर जुलाई के पहले सप्ताह में हुई बारिश अमृत समान बरसी लेकिन अब उसी को सर्वाधिक खतरा बना हुआ है। जिन किसानों के पास सिंचाई की व्यवस्था है वे जैसे-तैसे सिंचाई कर रहे हैं लेकिन जिनके पास नहीं है उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही उन्हें डर है कि कहीं उपज खराब हो गई तो इससे दोहरी मार पड़ेगी।
…और आगे क्या : अभी शुष्क ही रहेगा मौसम
मौसम विभाग के अनुसार फिलहाल मौसम में बहुत बदलाव की गुंजाइश नहीं है। आगामी दो-चार दिन यथावत ही मौसम रहेगा। वहीं, 21 जुलाई के बाद थोड़ा बदलाव आएगा, प्रदेश के कई हिस्सों में तेज हवा, आंधी और गरज-चमक की स्थिति बनेगी। फिलहाल तापमान के बदलाव की भी कोई गुंजाइश नहीं है। ऐसे में अभी मौसम शुष्क ही रहेगा। भोपाल मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक एस. के. नायक ने बताया कि फिलहाल मौसम में बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है।
किसान बोले- फसल खराब हुई तो बीज भी नहीं है
वैसे यह प्राकृतिक व्यवस्था है लेकिन उपज को यदि पानी नहीं मिला तो किसानों को दोहरी मार पड़ेगी। फसल खराब हुई तो बीज खरीदने की स्थिति में भी किसान नहीं है।
-राधे सौंधिया, युवा विचारक और किसान, सुठालिया क्षेत्र
सोयाबीन सूखना शुरू हो गई है, गहरी मिट्टी वाली ऊपज में दिक्कत नहीं है लेकिन ऊपरी सतह पर ऊगी हुई उपज को ज्यादा संकट है। यदि बारिश नहीं हुई तो मुश्किल हो जाएगी।
-शिवनारायण सौंधिया, किसान, निवासी धान्याखेड़ी
कीटनाशक का उपयोग न करे फिलहाल
जिन खेतों में ज्यादा उपज सूख रही है वे खरपतवार नाशक कीटनाशक का उपयोग न करें, कुल्पा चलाएं। साथ ही किसान भाई जरूरत के हिसाब से हल्की सिंचाई कर सकते हैं।
-डॉ. अखिलेश श्रीवास्तव, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, राजगढ़