किसानों को दोगुनी मार कम भाव दे रहे
दरअसल, आम तौर पर भी कृषि बाजार में तभी तेजी होती है जब किसानों के पास उपज खत्म हो जाती है। अब खरीफ की प्रमुखउपज की आवक की शुरुआत ही हुई है और कृषिमार्केट में मंदी आ गई। वैसे ही कम उत्पादन और क्वालिटी खराब होने की मार झेल रहे किसानों को दोगुनी मार कम भाव दे रहे हैं।
किसानों के सामने चुनौती बन रहा
अपना लागत मूल्य निकाल पाना भी किसानों के सामने चुनौती बन रहा है। अभी शुरुआती दौर में कुछ ही सोयाबीन आने लगी है फिर भी बुधवार से इस बार की सोयाबीन का श्रीगणेश हुआ। पहले दिन 3000 क्विंटल की आवक हुई वहीं, दूसरे दिन गुरुवार को आवक 5000 क्विंटल तक पहुंच गई।
बता दें कि सीजन में ब्यावर कृषि मंडी में 15 से 20 हजार क्विंटल प्रतिदिन की आवक आम बात है। बता दें कि आगामी दिनों में मंडी में आवग बढऩे के आसार हैं, दीवाली तक तमाम जगह की सोयाबीन निकलने के बाद आवक में तेजी आएगी।
क्वालिटी से आधा हुआभाव
बारिश में भीग जाने और खड़ी-खड़ी ही अंकुरित हो जाने से सोयाबीन दागी (सफेद-काले दाने वाली) हो गई है। इससे सामान्य भाव से ठीक आधा का ही उन्हें लाभ मिल पा रहा है। साथही उत्पादन भी इससे प्रभावित हुआ है। ऐसे में करीब सात से आठ हजार रुपएप्रति बीघा के खर्च के बाद प्रति बीघा से किसानों के हाथ चार से पांच हजार रुपएभी नहीं लग रहे।इससे किसानों के समक्ष बड़ी समास्या खड़ी हो गई है। वहीं, शासन स्तर पर भी उन्हें नाममात्र का मुआवजा, बीमा मिलने की घोषणा हुई है जिसका मिलना भी तय नहीं है। ऐसे में किसानों के सामने बड़ी समस्या प्राकृतिक प्रकोप ने खड़ी कर दी है।
किसान बोले- कीचड़ में पचकर निकाली, फिरभी भाव नहीं
खेतों में कीचड़़ मचा हुआहै, वहां से जैसे-तैसे उपज को निकाला है। दागी होने के कारण भाव नहीं मिल पाया। हर ओर से हमारे साथ दिक्कत ही दिक्कत हो रही है।
-कालू सौंधिया, किसान, निवासी आंबा
नेता वोट लेने आ जाते हैं, अब हमारी सोयाबीन खराब है, शासन की ओर से कोई मदद मिल नहीं रही। हमारा लागत मूल्य निकल पाना भी मुश्किल हो रहा है, कोई दो आकर देखे।
-मांगीलाल, किसान, बेराड़
पांच हजार क्वींटल की आवक
एक दिन पहले तीन हजार और गुरुवार को पांच हजार क्वींटल सोयाबीन की आवक हुई है। जहां तक भाव की दिक्कत है तो गीली और दागी होने से यह फर्क पड़ रहा है।
-एस. एन. दांगी, प्रभारी मंडी सचिव, कृषि उपज मंडी समिति, ब्यावरा
क्वालिटी से आधा हुआभाव
बारिश में भीग जाने और खड़ी-खड़ी ही अंकुरित हो जाने से सोयाबीन दागी (सफेद-काले दाने वाली) हो गई है। इससे सामान्य भाव से ठीक आधा का ही उन्हें लाभ मिल पा रहा है। साथही उत्पादन भी इससे प्रभावित हुआ है। ऐसे में करीब सात से आठ हजार रुपएप्रति बीघा के खर्च के बाद प्रति बीघा से किसानों के हाथ चार से पांच हजार रुपएभी नहीं लग रहे।इससे किसानों के समक्ष बड़ी समास्या खड़ी हो गई है। वहीं, शासन स्तर पर भी उन्हें नाममात्र का मुआवजा, बीमा मिलने की घोषणा हुई है जिसका मिलना भी तय नहीं है। ऐसे में किसानों के सामने बड़ी समस्या प्राकृतिक प्रकोप ने खड़ी कर दी है।
किसान बोले- कीचड़ में पचकर निकाली, फिरभी भाव नहीं
खेतों में कीचड़़ मचा हुआहै, वहां से जैसे-तैसे उपज को निकाला है। दागी होने के कारण भाव नहीं मिल पाया। हर ओर से हमारे साथ दिक्कत ही दिक्कत हो रही है।
-कालू सौंधिया, किसान, निवासी आंबा
नेता वोट लेने आ जाते हैं, अब हमारी सोयाबीन खराब है, शासन की ओर से कोई मदद मिल नहीं रही। हमारा लागत मूल्य निकल पाना भी मुश्किल हो रहा है, कोई दो आकर देखे।
-मांगीलाल, किसान, बेराड़
पांच हजार क्वींटल की आवक
एक दिन पहले तीन हजार और गुरुवार को पांच हजार क्वींटल सोयाबीन की आवक हुई है। जहां तक भाव की दिक्कत है तो गीली और दागी होने से यह फर्क पड़ रहा है।
-एस. एन. दांगी, प्रभारी मंडी सचिव, कृषि उपज मंडी समिति, ब्यावरा