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राजगढ़

तेंदू पत्ता : छोटे पत्ते आने लगे तो डेढ़ सप्ताह में बंद करना पड़ा तुड़ाई का काम

15 मई के आसपास पत्तों के तुड़ाई का काम शुरू किया गया। लेकिन कुछ दिन बाद ही मौसम बिगडऩे और बूंदाबांदी ने पूरा गणित बिगाड़ दिया।

राजगढ़Jun 11, 2024 / 06:58 pm

Ashish Pathak

food news
राजगढ़। जिले के ब्यावरा में इस बार तीखी धूप और गर्मी अच्छी मिलने से जिले में तेंदू पत्ता की गुणवत्ता और बेहतर उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा था। शुरुआती दौर में पत्तों की क्वालिटी भी काफी अच्छी नजर आ रही थी लेकिन तुड़ाई शुरू होने के कुछ दिन बाद ही बूंदाबांदी ने पूरा गणित बिगाड़ दिया। गुणवत्ता बिगडऩे से डेढ़ से दो सप्ताह में ही तुड़ाई का काम रोकना पड़ा। जिसके कारण इस बार भी लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया।
राजगढ़ जिले में हर साल तेंदूपत्ता का रकबा बढ़ रहा है। साथ ही इस बार तेंदूपत्ता के लिए अनुकूल मौसम रहने से पिछले सालों की अपेक्षा उत्पादन बढऩे का अनुमान लगाया गया जा रहा था। ऐसे में वन विभाग ने इस बार 6400 मानक बौरा तेंदूपत्ता के संग्रहण करने और सौ प्रतिशत तुड़ाई का लक्ष्य रखा था। 15 मई के आसपास पत्तों के तुड़ाई का काम शुरू किया गया। लेकिन कुछ दिन बाद ही मौसम बिगडऩे और बूंदाबांदी ने पूरा गणित बिगाड़ दिया। खराब मौसम के चलते न सिर्फ पत्तों की क्वालिटी बिगड़ी साथ ही छोटे पत्ते आने लगे तो समितियों ने तुड़ाई का काम बंद करा दिया। ऐसे में एक महीने तक चलते वाला पत्ता तुड़ाई का काम डेढ़ सप्ताह में भी बंद करना पड़ा।
फैक्ट फाइल

राजगढ़ वन वृत्त

– 90 फीसदी रकबा नरसिंहगढ़, सुठालिया और मलावर क्षेत्र में

– 3 समितियां बनाई गई संग्रहण के लिए

– 41 फड़ (पत्ता संग्रहण केंद्र)

– 6400 मानका बौरा तौडऩे का लक्ष्य रखा
– 60 प्रतिशत ही पूरा हो पाया

– 2 समितियों ने खरीदा पत्ता, दाम अच्छें मिले

नोट- लक्ष्य पूरा नहीं होने से मजदूरों को बोनस नहीं मिल पाया)

(आंकड़े- वन विभाग के अनुसार)
मजदूरों को हुआ आर्थिक नुकसान

नरसिंहगढ़,मलावर और सुठालिया के जंगल से 15 मई से पत्तों की तुड़ाई का कार्य शुरू हो था। लेकिन खराब क्वालिटी और पत्तों की साइज छोटी होने से करीब डेढ़ सप्ताह बाद ही तुड़ाई का काम बंद करना पड़ा। जिसके कारण इस बार भी लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया। लक्ष्य का करीब 65 फीसदी ही पत्तों की तुड़ाई हो पाई है। हालांकि इस बार बेहतर भाव मिलने से थोड़ी राहत मिली है। लेकिन जल्दी काम बंद होने से मजदूरों को आर्थिक नुकसान हुआ है। साथ ही सौ फीसदी लक्ष्य पूरा होता और अच्छें दाम मिलते तो मजदूरों को अतिरिक्त बोनस मिलने की उम्मीद रहती है। लेकिन अब मजदूरों को बोनस मिलना भी मुश्किल है।
बूंदाबांदी से दिक्कत हुई है

शुरूआत दौर में काफी अच्छी क्वालिटी के पत्तें आ रहे थे लेकिन बीच में हुई बूंदाबांदी ने गुणवत्ता बिगाड़ दी। साथ ह पत्तों की साइज भी छोटी आने लगी तो समितियों ने तुड़ाई बंद करा दी। इस बार 65 फीसदी ही लक्ष्य पूरा हो पाया है।
– वैनी प्रसाद, डीएफओ, राजगढ़

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