पिछले तीन चुनावों की यदि बात करे तो वर्ष 2003 में यहां भाजपा के हरिचरण तिवारी, 2008 में कांग्रेस के हेमराज कल्पोनी और 2013 में भाजपा के अमरसिंह यादव विधानसभा चुनाव जीतकर आए। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के शिवसिंह बामलाबे को 51211 मतों से हराया। अमरसिंह यादव इससे पहले खुजनेर नगर परिषद से दो बार अध्यक्ष रहे।
विधानसभा के में हुए कार्यो को देखने जब हम शहर के कुछ वार्डो में पहुंचे तो लोगों की कई तरह की शिकायतें थी। कालाखेत मोहल्ला पहुंचे। जहां लोगों का कहना था कि सडक़ें उखड़ी पड़ी है। कई बार शिकायत कर चुके है। उससे कुछ ही दूरी पर मौजूद जिला चिकित्सालय में भवन तो खासा बड़ा है। लेकिन चिकित्सक स्वीकृत पदों से आधे भी नहीं है।
बुधवार और गुरुवार में एनेस्थिेटिक की अनुपस्थिति में कई प्रसूताओं को रेफर कर दिया गया। हालांकि त्योहार के सीजन में मरीजों की संख्या कम थी। पास में ही संचालित हो रहे पीजी कालेज में अवकाश होने के कारण विद्यार्थी नहीं मिले। लेकिन पूछने पर मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि नियमित प्रोफेसर कुछ ही बचे है।
यहां अतिथि विद्वानों के भरोसे पढ़ाई चल रही है। पुराने बस स्टैण्ड को शुरू करने की मांग अभी भी बरकरार है। जबकि नवीन बस स्टैण्ड पर भी ऐसी कोई सुविधा नहीं है। जहां यात्रियों को कुछ समय रूकना हो तो वे बैठ सके। बाजार में पहुंचते ही चारों तरफ अतिक्रमण नजर आता है। ऐसे में एक स्वच्छ और साफ नगर की कल्पना करना भी गलत होगा। शहर की जीवनदायिनी कहे जाने वाली नेवज नदी में स्वच्छता को लेकर कई तरह के अभियान चले। लेकिन अभी भी लोग स्वच्छता को लेकर इतने जागरूक नजर नहीं आते।
काम जो रह गए अधूरे-
विधायक अमरसिंह यादव जिस समय विधायक बने। उस समय पानी और सडक़ों की हालत ठीक नहीं थी। जहां उन्होंने पिपलोदी, खुजनेर, चाटूखेड़ा जैसे बड़े कस्बों को मुख्यालय से जोड़ा। वहीं बात यदि मोहनपुरा सिंचाई परियोजना की कि जाए तो 40 सौ करोड़ रुपए की योजना ने मूर्त रूप लिया। लेकिन अभी भी किसानों को इसकी नहरों के आने का इंतजार है। काम फिलहाल चल रहा है। जबकि सडक़ों की यदि बात करे तो अभी भी तंवरवाड़ के कुछ हिस्से छूटे हुए है। शहर में हाईवे से सर्किट हाउस तक वीआईपी रोड और उद्योगों को विकसित करना व कन्या महाविद्यालय की मांग बरकरार है।
सबसे बड़ा मुद्दा-
महिलाओं व युवाओं की यदि बात करे तो मंहगाई और बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है। जिसको लेकर सवाल खड़े होते रहे है। मुख्यालय पर मिलने वाली अधिकांश सामग्री पास की विधानसभा खिलचीपुर या फिर ब्यावरा से ज्यादा मंहगी होती है। वहीं यहां बेराजगारी के कारण पलायन भी बढ़ता जा रहा है। जबकि अपराधों के मामलों में भी महिला अपराध यहां अधिक है।