रामबाबू की बात अकसर गांव के कुछ दोस्तों से हुआ करती थी। वह उन्हें वीडियो कॉल करता रहता था। आखिरी दिनों में उसने कहा कि मुझे आप लोग फोन मत किया करें, यहां के डॉक्टर्स टॉर्चर करते हैं। उसके छोटे भाई श्याम मालवीय ने बताया कि मैं बीते दिनों उज्जैन गया था, जहां से वीडियो कॉल (video call) किया, तब उससे मेरी बात नहीं हुई। उसके किसी इंदौर, उज्जैन के दोस्त ने हमें बताया कि शुक्रवार को उनका निधन हो गया।
तीन दिन तक छिपाए रखा, फिर टूटा परिजनों पर दुख का पहाड़
रामबाबू के परिवार में माता-पिता, दो भाई और एक बहन है। उसकी मौत की सूचना उसके बचपन के दोस्त ओम सेन, गोविंद पाटीदार, लक्ष्मीनारायण रूहैला व भाई को लगी। दो से तीन दिन तक उन्होंने यह बात छिपाए रखी लेकिन मंगलवार को हिम्मत कर उन्हें बताना पड़ी। इस वज्रपात को परिजन सह नहीं पाए। दोस्तों का कहना है कि घर का माहौल न देख पा रहे हैं न वहां खड़े हो पा रहे हैं। बता दें कि घर की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय होने के कारण घरवालों ने भी इस तीन साल के एग्रीमेंट पर सहमति जता दी थी। एक भाई मजदूरी करता है और दूसरा उज्जैन में कहीं काम करता है।