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राजगढ़

दुबई में फंसा जिले का युवक पीएम, सीएम से गुहार लगाता रहा, करोना से लड़ते-लड़़ते दम तोड़ा, सूरत भी नहीं देख पाए परिजन

कोरोना ने विदेश में ले ली जिले के युवक की जानढाई साल से दुबई में भी होटल मैनेजमेंट का काम करता था, फरवरी में आने वाला था लेकिन लॉक डॉउन में फंस गया

राजगढ़Jun 30, 2020 / 10:55 pm

Rajesh Kumar Vishwakarma

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राजगढ़ (पचोर).जिले के एक युवक ने कोरोना से लड़ते-लड़ते दुबई (Dubai) में दम तोड़ दिया। इससे पहले वह प्रधानमंत्री (prime minister), मुख्यमंत्री (chief minister) से ऑनलॉइन वीडियो जारी कर गुहार लगाता रहा लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की। बीते शुक्रवार को उसकी मौत हो गई।
दरअसल, रामबाबू पिता अर्जुनसिंह मालवीय (25) निवासी पीपल्या रसोड़ा (पचोर) कुछ साल इंदौर, उज्जैन रहा। फिर वहीं किसी व्यवसायी के माध्यम से विजा, पासपोर्ट बनवाकर दुबई की ओर रुख किया। तीन साल के होटल प्रबंधन (hotel management) के एग्रीमेंट पर वह दुबई में कार्यरत था, फरवरी में वह घर आने वाला था। तभी लॉक डॉउन हो गया और वह आ नहीं पाया। करीब 20 दिन पहले उसे पीलिया और लीवर संबंधी अन्य बीमारियां हुई। उपचार के दौरान उसमें कोरोना की पुष्टि भी बीते दिनों हो गई। इससे पहले उसने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कहा कि प्रधानमंत्रीजी, मुख्यमंत्रीजी मुझे बचा लीजिए। दुबई का महंगा ईलाज मैं नहीं करवा पाऊंगा, यह मेरी जान ले लेगा। इसके बात बीते शुक्रवार उसने कोरोना के कारण दम तोड़ दिया। कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत ही उसकी अंत्येष्टि की गई।

दोस्तों से कहा था- फोन मत करो, डॉक्टर्स टॉर्चर करते हैं
रामबाबू की बात अकसर गांव के कुछ दोस्तों से हुआ करती थी। वह उन्हें वीडियो कॉल करता रहता था। आखिरी दिनों में उसने कहा कि मुझे आप लोग फोन मत किया करें, यहां के डॉक्टर्स टॉर्चर करते हैं। उसके छोटे भाई श्याम मालवीय ने बताया कि मैं बीते दिनों उज्जैन गया था, जहां से वीडियो कॉल (video call) किया, तब उससे मेरी बात नहीं हुई। उसके किसी इंदौर, उज्जैन के दोस्त ने हमें बताया कि शुक्रवार को उनका निधन हो गया।
तीन दिन तक छिपाए रखा, फिर टूटा परिजनों पर दुख का पहाड़
रामबाबू के परिवार में माता-पिता, दो भाई और एक बहन है। उसकी मौत की सूचना उसके बचपन के दोस्त ओम सेन, गोविंद पाटीदार, लक्ष्मीनारायण रूहैला व भाई को लगी। दो से तीन दिन तक उन्होंने यह बात छिपाए रखी लेकिन मंगलवार को हिम्मत कर उन्हें बताना पड़ी। इस वज्रपात को परिजन सह नहीं पाए। दोस्तों का कहना है कि घर का माहौल न देख पा रहे हैं न वहां खड़े हो पा रहे हैं। बता दें कि घर की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय होने के कारण घरवालों ने भी इस तीन साल के एग्रीमेंट पर सहमति जता दी थी। एक भाई मजदूरी करता है और दूसरा उज्जैन में कहीं काम करता है।

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