परिवार वालों ने घर से निकाला
कोरोना को हराकर घर लौटे इंदौर नाका वार्ड-12 के रहने वाले इस युवक को पिता और उसके भाई ने घर से निकाल दिया है। युवक ने बताया कि पिता और भाई ने घर पहुंचने पर दरवाजे से वापस भगा दिया, कहा तुम्हे कोरोना है बाहर निकलो, कपड़े फेंक दिए। घर वालों के नकार देने के बाद अब ये युवक बेसहारा की तरह जिंदगी बिता रहा है। तीन दिन से सड़क पर सो रहा है, पड़ोसी जो खाना दे देते हैं उसी को खाकर अभी तक जिंदा है।
एसडीएम के पास लगाई गुहार
घरवालों के नकार देने के बाद अब इस युवक ने एसडीएम से गुहार लगाई है। युवक ने एसडीएम को बताया कि साहब उसने पूरा क्वारेंटीन पीरियड अस्पताल में बिताया, गाइडलाइन का पालन किया और अब जब वो स्वस्थ्य होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुका है तो उसके साथ घरवाले इस तरह का बर्ताव कर रहे हैं। क्या कोरोना हो जाना उसका अपराध है ?
भाई कह रहा सीएम भी आएं तो घर में नहीं घुसने नहीं दूंगा- पीड़ित
एसडीएम से गुहार लगाते लगाते पीड़ित युवक ने भरे हुए गले से बताया कि साहब भाई तो ये तक कह रहा है कि किसी भी अफसर को बुला लो या फिर सीएम को भी बुला लो लेकिन घर में नहीं घुसने दूंगा। जब से अस्पताल से डिस्चार्ज हुआ हूं सड़क पर भटक रहा हूं वहीं पर सो जाता हूं। पड़ोसी के दिए हुए खाने पर जिंदा हूं और अब जाऊं तो जाऊं कहां ?
परिजन की काउंसलिंग करा रहा प्रशासन
युवक की गुहार सुनने के बाद एसडीएम संदीप अष्ठाना ने बताया कि युवक अपनी परेशानी लेकर उनके पास पहुंचा था, उसके माता-पिता और भाई की काउंसलिंग कराई जा रही है। एक बात लोगों को समझानी होगी कि कोरोना यदि किसी को हुआ है तो उसमें उस व्यक्ति का कोई अपराध नहीं है, उससे दुर्व्यवहार करने की जरुरत नहीं है।