यदि ऐसा नहीं होता तो इस घोटाले में उन्हें भी आरोपी बनाया जाएगा। मामले में गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान सामाजिक न्याय विभाग के तत्कालीन उप संचालक एमके त्रिपाठी, मनोज बाथम, मीना श्रीवास्तव और आरएल भारती को आरोपी बनाया गया है।
सभी के खिलाफ प्रकरण 263/17 के तहत धारा 420,467,468,120 बी के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था। जिसमें न्यायालय ने आईपीसी की धारा 409 का इजाफा भी किया गया।
ये था मामला…
वर्ष 2007 से लेकर 2010 तक राजगढ़ सामाजिक न्याय विभाग में पेंशन प्रकरणों के 19 चेक काटे गए थे। जो 41 लाख 79 हजार के थे। इन पर जिम्मेदार अधिकारियों के हस्ताक्षर फर्जी तरीके से करते हुए राशि निकाली गई थी।
मामले में कार्यालय के ही लिपिक प्रमोद श्रीवास्तव की शिकायत पर कोतवाली में प्रकरण 2017 में दर्ज किया गया था। जिसकी सुनवाई अभी भी चल रही है।
बैंक मैनेजर भी है आरोपी…
इस मामले में हस्ताक्षर की जांच किए बगैर इतनी बड़ी राशि लगातार जारी किए जाने के मामले में कोतवाली ने स्टेट बैंक ऑफ इंदौर के तत्कालीन मैनेजर के खिलाफ प्रकरा दर्ज किया था।
लेकिन यहां बैंक मैनेजर की पैरवी कर रहे वकील ने इस प्रकरण से बैंक मैनेजर का कोई लेनादेना नहीं बताते हुए उन्हें बरी करने की अपील की थी। जिसके बाद न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया। जिनमें चार उप संचालक शामिल है। जबकि तीन कलेक्टरों को नोटिस दिए गए।
हरियाणा न्यायालय के निर्णय को बनाया आधार…
उच्चतम न्यायालय हरियाणा की संवैधानिक पीठ द्वारा प्रतिपादित धर्मपाल प्रकरण के अनुसार दंड प्रक्रिया की धारा 193 के तहत ऐसे व्यक्ति के विरूद्ध भी कार्रवाई की जा सकती है।
जिसका नाम पुलिस द्वारा आरोप पत्र में शामिल नहीं किया गया हो। साथ ही इस मामले में अभियुक्त के रूप में शासकीय अधिकारी को शामिल करने के पूर्व दंड प्रक्रिया की धारा 1997 के तहत सक्षम प्राधिकारी की पूर्व मंजूरी लेना भी जरूरी नहीं है। इसी को आधार बनाकर अन्य अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है।
वर्तमान में कौन कहा पदस्थ…
मामले में जिन तीन तत्कालीन कलेक्टरों को नोटिस जारी किए गए है।
उनमें कलेक्टर जीपी तिवारी होशंगाबाद, कलेक्टर लोकेश जाटव इस समय भोपाल निर्वाचन कार्यालय में है। जबकि कलेक्टर शिवानंद दुबे कमिश्रर के रूप में सेवाएं दे रहे है।
मामले की सुनवाई के दौरान एसबीआई के तत्कालीन मैनेजर को प्रकरण से दूर रखने की अपील की गई थी। ऐसे में न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उन लोगों को भी आरोपी बनाया है जो घोटाले के समय विभाग के अधिकारी रहे है। साथ ही तीन तत्कालीन कलेक्टरों को भी व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। यदि वे नहीं आते तो उन्हें भी आरोपी बनाया जाएगा।
गिरीश शर्मा, शासकीय अधिवक्ता राजगढ़