दरअसल, मोहनपुरा डेम dam के निर्माण के बाद से ही मक्सी-रुठियाई रेल्वे ट्रेक के दूधी रेल्वे ब्रिज railway bridge को खाली रखना पड़ता है वहीं, बांध को भी खाली रखा जाता है। गुरुवार और शुक्रवार को बढ़े जलस्तर के कारण वहां से निकलने वाली तमाम ट्रेनों को दोनों ही दिन पायलेटिंग के तहत गुजारा railway track गया। रेल्वे के 1204 किलोमीटर से 1505 के बीच पायलेटिंग की गई। इसके तहत 10 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से तमाम ट्रेनें गुजरीं। दो दिन तक यही व्यवस्था रही, दिन और रात पीडल्यूआई के कर्मचारियों ने पायलेटिंग की।
पहले कर्मचारी खुद ब्रिज पर चलते हैं फिर ट्रेन
रेल्वे कर्मचारियों के अनुसार पायलेटिंग के लिए पहले ट्रेन को ट्रेक ब्रिज के पास रोका जाता है। फिर रेल्वे पीडब्ल्यूआई (रेल पथ विभाग) का एक कर्मचारी पहले पैदल उक्त ब्रिज से गुजरता है, ब्रिज के दूसरी ओर जाकर वह हरी झंडी करता है उसके बाद ट्रेन धीरे-धीरे 10 की रफ्तार से आगे बढ़ती है।
तमाम साप्ताहिक गाडिय़ां भी ऐसे ही निकाली गईं
पूरी ट्रेन रवाना होने के बाद वह दोबारा हरी झंडी दिखाकर ट्रेन को रवाना करता है। अतिवृष्टि और ब्रिज पर ट्रैफिक निकालने के दौरान यह तमाम क्रिटिकल स्थानों पर किया जाता है। गुरुवार, शुक्रवार को इंदौर-भिंड इंटरसिटी की आने और जाने वाली दोनों गाडिय़ों के साथ ही बीना-नागदा पैसेंजर, साबरमती एक्सप्रेस सहित तमाम साप्ताहिक गाडिय़ां भी ऐसे ही निकाली गईं।
आठ किमी डायवर्ट होना है नया रेल्वे ब्रिज
उल्लेखनीय है कि उक्त रेल्वे अंडरब्रिज के लिए जिला प्रशासन, जल संसाधन विभाग द्वारा करीब तीन करोड़ से अधिक रुपए जारी किए जा चुके हैं। साथ ही जमीन भी उपलब्ध करवा दी गई है लेकिन रेल्वे की लेटलतीफी के कारण हर बार यह दिक्कत आ रही है, मोहनपुरा डेम भी पूरा नहीं भरा जा सक रहा है। यहां करीब आठ किलोमीटर तक रेल्वे की नई लाइन और ब्रिज डायवर्ट किया जाना है। जिस पर रेल्वे को काम करना बाकी है।
10 की रफ्तार से निकलीं ट्रेनें
राजस्थान में अत्यधिक बारिश के कारण शुक्रवार को इंदौर-कोटा इंटरसिटी एक्सप्रेस रद्द रही। दूधी नदी में पानी बढ़ जाने से वहां से गुजरने वाली तमाम ट्रेनें 10 की रफ्तार से निकलीं। पहले उन्हें पायलेट की गई।
-चंद्रभूषण कुमार, स्टेशन प्रबंधक, ब्यावरा