30 मई को पत्रिका में खबर प्रकाशित हुई थी
कोर्ट ने शासन के वकील को सरकार से दिशा निर्देश लेकर 17 जून को होने वाली अगली सुनवाई में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं। 30 मई को पत्रिका में ‘प्यास बुझाने के लिए मप्र से आना पड़ता है राजस्थान’ शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई थी। खबर में श्रीजी बोरदा गांव में पानी समस्या का मुद्दा उठाया गया था।
जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई
एडवोकेट मनीष विजयवर्गीय के माध्यम से दायर जनहित याचिका में बताया गया कि 600 की जनसंख्या वाले इस गांव में रहने वालों को भीषण गर्मी के बीच करीब तीन किलोमीटर दूर जाकर पानी लाने को मजबूर होना पड़ रहा है। बुजुर्गों के अलावा बच्चों को भी पानी लेने के लिए जाना पड़ रहा है।
श्रीजी बोरदा के अलावा आसपास के अन्य गावों में भी यही स्थिति है। याचिका में मांग की गई कि सरकार क्षेत्र के सभी गांव में पानी की स्थायी पर्याप्त व्यवस्था मुहैया कराए। क्षेत्रों में पानी की सप्लाय नहीं होने के लिए जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की है।
ये है मामला…
राजस्थान सीमा पर बसे राजगढ़ जिले का एक बड़ा हिस्सा पथरीला है, जहां साल के चार माह ही बमुश्किल से पानी मिलता है। यहां की जमीनें या तो बंजर हैं या फिर एक फसल पर ही निर्भर हैं। क्योंकि पथरीली जमीन होने से यहां पानी नहीं रहता।
राजस्थान की सीमा में 2 किमी दूर
ऐसे में साल के 12 में से आठ माह तक कई गांवों के लोगों को पीने के पानी के लिए भटकना पड़ता है। ऐसा ही एक गांव राजस्थान सीमा पर स्थित श्रीजीबोरदा जो दंड पंचायत में आता है। करीब 600 की आबादी वाले इस गांव में वर्तमान में पानी की भारी समस्या है और लोग पीने का पानी हो या फिर नहाने का इसे भरने के लिए राजस्थान की सीमा में जाकर दो किमी दूर से लेकर आते हैं।
एक-एक कर बाल्टी से पानी ऊपर भेज रहे
राजस्थान सीमा पर बसे श्रीजीबोरदा गांव में जब हम पहुंचे तो क्या बड़े और क्या बच्चे। सभी पानी की जुगत में लगे हुए थे। जाकर देखा तो गांव के पुरुष कुएं में नीचे की तरफ उतरकर एक-एक कर बाल्टी से पानी ऊपर भेज रहे थे। वहीं महिलाएं ऊपर की तरफ सीढिय़ों पर खड़ी होकर पानी चढ़ा रही थी। जबकि कई ऐसी बालिकाएं और महिलाएं पानी को ढोने का काम कर रही थीं।
बच्चे स्कूल तक नहीं जा पाते
ग्रामीणों ने बताया कि पानी के कारण कई बच्चे स्कूल तक नहीं जा पाते। क्योंकि यह समस्या सिर्फ गर्मी की ही नहीं है। बारिश जाने के साथ ही ऐसा नजारा आम हो जाता है। लेकिन जिला मुख्यालय से दूर होने के कारण अधिकारियों की भी इस गांव की तरफ नजर नहीं जाती। हां इतना जरूर है कि जब चुनाव आते हैं तो कभी-कभी नेता इस गांव की तरफ रुख कर लेते हैं।
जान जोखिम में डालकर निकालते है पानी
जिस कुएं से ग्रामीण पानी भर रहे है। उसमें पानी काफी नीचे चला गया। एक-एक सीढ़ी पर गांव का एक-एक व्यक्ति खड़ा होकर नीचे तक जाते हुए पानी लेकर आता है। इनमें कुछ पुरुष होते हैं कुछ महिलाएं। कई बार बच्चे भी इस लाइन में लगते है और जान जोखिम में डालकर अपनी प्यास बुझाते हैं।
हां यह बात सही है कि गांव में पानी की परेशानी है। जनपद से जांच भी कराई थी। लेकिन यह गांव राजस्थान की सीमा पर ही बसा है और उनका वहां आना-जाना लगा रहता है। फिर भी पानी की समस्या के हल के लिए हम प्रयासरत हैं।
शैलेन्द्रसिंह सौलंकी, सीईओ जिला पंचायत राजगढ़
पीएचई में कई बार ट्यूबेल के लिए चक्कर लगाए और सार्वजनिक कुएं को लेकर भी आवेदन दिए। लेकिन कोई हल नहीं निकल रहा। ऐसे में मजबूरी है कि गांव वाले इतनी दूर जाकर पानी ला रहे हैं। जो राजस्थान की सीमा में और गांव से डेढ़ से दो किमी दूर पड़ता है।
मांगीलाल भिलाला, सरपंच