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राजगढ़

आज भी बुनियादी सुविधाओं को तरह रहे शासन के अधिकृत चौकीदार, माली हालत बेहद खराब

चौकीदारों पर देश में राजनीति, लेकिन हकीकत से सब दूर…

राजगढ़Mar 23, 2019 / 06:04 pm

Amit Mishra

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आज भी बुनियादी सुविधाओं को तरह रहे शासन के अधिकृत चौकीदार, माली हालत बेहद खराब

ब्यावरा @राजेश विश्वकर्मा की रिपोर्ट…
लोकसभा चुनाव में राजनीतिक प्रोपोगेंडा बने चौकीदार सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं। किसी ने अपने नाम के आगे चौकीदार लिखवा लिया तो किसी ने लिखा हां मैं भी चौकीदार, तो कोई इसी का विरोध करते हुए चौकीदार ही चोर है से चुनावी तैयारियों में लगा हुआ लेकिन जिन चौकीदारों के नाम पर देशभर में राजनीति की जा रही है उन्हीं की माली हालत बेहत खराब है।

सरकारें किसी भी रही हों और स्थितियां जो भी रही हों ग्राम पंचायतों में पदस्थ इन चौकीदारों पर न किसी का ध्यान गया न ही किसी ने इनके बारे में आज तक सोचा। शासकी, प्रशासकीय कार्यों में महत्ती भूमिका निभाने वाले इन चौकीदारों की हालत यह है कि वे अपनी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं जुटा पा रहे हैं और जो राजनीतिक पार्टियां उनका नाम लेकर राजनीति करने में जुटी हैं उन्होंने भी उनकी ओर ध्यान नहीं दिया। देशभर के चौकीदार, सिक्योरिटी गार्ड सभी इससे आहत हैं कि उनके नाम को ब्रॉन्ड एम्बेस्डर के तौर पर राजनीति में उपयोग तो किया जा रहा है लेकिन उनकी ओर ध्यान किसी का नहीं जा रहा।

फेसबुक, वाट्स-एप में मची होड़…
कुछ लोगों में हां मैं भी चौकीदार अपने नाम के आगे लिखकर तो कुछ लोग चौकीदार ही चोर का टेग फेसबुक, वाट्स-एप, ट्वीटर इत्यादि सोशल मीडिया के साइड पर लिखने में होड़ मची है। सोशल मीडिया की कई आपत्तिजनक साइड्स पर तक चौकीदार लिखा जा रहा है। यानि चुनाव को लेकर चौकीदार शब्द का उपयोग सरकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरीके से किया जा रहा है। हालांकि यह बात अलग है कि किसी ने चौकीदारों की वास्तविक स्थिति के बारे में न जाना और न ही विचार किया।


चौकीदार बोले- हमें तो पता ही नहीं कहां उपयोग हो रहा हमारा नाम
हमारे नाम को कौन कहां जोड़ रहा इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता। 15 साल से चौकीदारी कर रहा हूं, गांव के सरकारी सभी काम करता हूं महज 15 सौ रुपए मेहनताना मिलता है। आज तक शासन की किसी भी योजना लाभ इसलिए नहीं मिला क्योंकि मैं चौकीदार हूं।
-रामेश्वर सेन, चौकीदार, गांगाहोनी

साहब, हमें क्या लेना-देना राजनीति से हम तो काम करते हैं। ४००० रुपए माह में न बुनियादी सुविधाएं मिल पाती हैं न गुजर-बसर होता। अन्य वैकल्पिक तौर पर मजदूरी कर जीवन चला रहे हैं। अतिरिक्त खर्च तो दूर कोई ये तक नहीं पूछता कि हाल क्या हैं?
-हजारीलाल वर्मा, चौकीदार, कीलखेड़ा


चार सौ रुपए माह में चौकीदारी करते हैं, वे भी समय पर नहीं मिल पाते हैं। नाम के चौकीदार हैं शासन की ओर से कोई सुविधा हमें नहीं मिलती। जो लोग हमारे नाम पर राजनीति कर रहे हैं उन्हें हमारी हकीकत को समझना चाहिए कि क्या होता है चौकीदार।
-दीपक-बालकिशन नायक, चौकीदार, पाड़ल्या माता

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