scriptइंदिरा और नेहरू की दोस्ती को छह दशकों से निभा रहा है खैरागढ़ का राजपरिवार | CG Polls: Khairagarh Raj Pariwar friendship with Indira - Nehru Family | Patrika News
राजनंदगांव

इंदिरा और नेहरू की दोस्ती को छह दशकों से निभा रहा है खैरागढ़ का राजपरिवार

राजनांदगांव जिले की राजनीति में लंबे समय तक अपना दबदबा कायम रखने वाले और यहां से सांसद और विधायक रह रह चुके खैरागढ़ राजपरिवार ने खैरागढ़ में कला एवं संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।

राजनंदगांवOct 27, 2018 / 02:15 pm

Ashish Gupta

cg election 2018

इंदिरा और नेहरू की दोस्ती को छह दशकों से निभा रहा है खैरागढ़ का राजपरिवार

अतुल श्रीवास्तव/राजनांदगांव. छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की राजनीति में लंबे समय तक अपना दबदबा कायम रखने वाले और यहां से सांसद और विधायक रह रह चुके खैरागढ़ राजपरिवार ने खैरागढ़ में कला एवं संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। उस दौर में इस विश्वविद्यालय का उद्घाटन देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी (बाद में देश की प्रधानमंत्री बनीं) ने किया था। विश्वविद्यालय के उद्घाटन के लिए इंदिरा गांधी खैरागढ़ पहुंची थीं और दो दिन यहां रूकी थीं।
खैरागढ़ राजपरिवार से नजदीक से जुड़े और वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष सिंह ने उस दौर को याद करते हुए बताया कि उस समय मध्यप्रदेश राज्य का निर्माण नहीं हुआ था। अपना क्षेत्र सीपीएंड बरार के दायरे में आता था और नागपुर राजधानी होती थी। खैरागढ़ के राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह ने अपनी दिवंगत पुत्री इंदिरा सिंह की याद में संगीत विश्वविद्यालय बनाया था और इसका उद्घाटन वे प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से कराना चाहते थे लेकिन समयाभाव के चलते नेहरू ने अपनी पुत्री इंदिरा गांधी को इसके लिए भेजा।
Chhattisgarh Assembly Elections

दो दिन रूकीं थीं इंदिरा गांधी
अधिवक्ता सिंह बताते हैं कि खैरागढ़ की रानी पद्मावती देवी सिंह प्रतापगढ़ राजपरिवार की बेटी थी और इलाहाबाद में पढ़ी-बढ़ी इंदिरा गांधी से उनकी मित्रता थी। इस मित्रता के चलते इंदिरा गांधी संगीत विश्वविद्यालय के उद्घाटन के लिए 14 अक्टूबर 1956 को खैरागढ़ पहुंची और दो दिन तक कमल विलास पैलेस में रूकीं। उस समय खैरागढ़ के राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह खैरागढ़ के विधायक थे और उन्होंने इंदिरा गांधी का स्वागत किया था।

राजा-रानी दोनों रहे सांसद
इस समय तक राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र का पृथक अस्तित्व नहीं था। यह इलाका दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में आता था और यहां से डब्ल्यूएस किरोलीकर सांसद हुआ करते थे। सन 1962 में चौकी, डोंडीलोहारा, बालोद, राजनांदगांव, डोंगरगांव, लालबहादुर नगर, डोंगरगढ़ और खैरागढ़ को मिलाकर राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र बना और यहां से पहले सांसद राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह बने। इसके बाद 1967 में बालोद, डोंडीलोहारा, खुज्जी, राजनांदगांव, डोंगरगढ़, डोंगरगांव, खैरागढ़ व वीरेन्द्रनगर को मिलाकर बने राजनांदगांव लोकसभा सीट से उनकी पत्नी और खैरागढ़ रियासत की रानी पद्मावती देवी सिंह सांसद बनीं। मौजूदा समय में राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र का जो स्वरूप है वह 1971 में अस्तित्व में आया। अविभाजित राजनांदगांव जिले की आठ विधानसभा क्षेत्र चौकी (अब मोहला-मानपुर), खुज्जी, डोंगरगांव, राजनांदगांव, डोंगरगढ़, खैरागढ़, वीरेन्द्रनगर (अब पंडरिया) और कवर्धा में कांग्रेस दो धड़े में बंट गया ।

राजीव गांधी के बालसखा थे शिवेंद्र
खैरागढ़ राजपरिवार की दूसरी पीढ़ी से राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह के पुत्र शिवेन्द्र बहादुर सिंह राजनांदगांव से तीन बार सांसद रहे। 1998 में कांग्रेस ने उनको टिकट नहीं दी। जनता दल की टिकट से उन्होंने चुनाव लड़ा पर इस चुनाव में कांग्रेस के मोतीलाल वोरा की जीत हुई। खैरागढ़ राजपरिवार के दूसरे बेटे रविन्द्र बहादुर सिंह की पत्नी रानी रश्मिदेवी सिंह खैरागढ़ से 1995 से लेकर 1993 में हुए चुनाव में जीतकर चार बार विधायक रहीं। उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके पुत्र देवव्रत सिंह विधायक बने।

Home / Rajnandgaon / इंदिरा और नेहरू की दोस्ती को छह दशकों से निभा रहा है खैरागढ़ का राजपरिवार

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो